scriptझोलाछाप कर रहे खानदानी वैद्य होने का दावा, हो रहा सेहत से खिलवाड़ | Claiming to be a family doctor who is scorching, messing with health | Patrika News

झोलाछाप कर रहे खानदानी वैद्य होने का दावा, हो रहा सेहत से खिलवाड़

locationअलवरPublished: Nov 23, 2019 01:38:37 am

Submitted by:

Kailash

झोलाछाप कर रहे खानदानी वैद्य होने का दावा, हो रहा सेहत से खिलवाड़

झोलाछाप कर रहे खानदानी वैद्य होने का दावा, हो रहा सेहत से खिलवाड़

झोलाछाप कर रहे खानदानी वैद्य होने का दावा, हो रहा सेहत से खिलवाड़


बहरोड़. कस्बे में इन दिनों कई जगहों पर सडक़ किनारे कुछ लोग देशी जड़ी बूटियों की दवाई अपने आप को खानदानी वैद्य बता कर बेच रहे है। इन लोगों को यह तक मालूम नहीं है कि किस जड़ी बूटी का नाम क्या है। ऐसे में यह अपना शिकार ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को बनाते है।
ग्रामीण क्षेत्रों के लोग देशी जड़ी बूटी से ईलाज कराने तथा इनके द्वारा किए जाने वाले खानदानी वैद्य के दावे को सही मानकर इनके जाल में फंस जाते है। खानदानी वैद्य होने तथा देशी जड़ी बूटियों से बनाई जाने वाली दवाई बताकर यह लोगों को गंभीर बीमारियों के जाल में फंसा देते है। इन नीम हकीमों द्वारा एक ही दवाई में सभी रोगों का ईलाज करने का दावा किया जाता है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों के लोग व युवा जानकारी के अभाव में इनकी ठगी का आसानी से शिकार बन जाते है। यह युवाओं को अनेक प्रकार की बीमारियां बता कर उनका ईलाज सस्ते में करने की बात कहकर उन्हें अपने जाल में फंसा लेते है। गांवों की कम पढ़ी लिखी औरतों को यह सबसे पहले अपना शिकार बनाते है। यह नीम हकीम इन्हें सस्ता ईलाज करने का दावा कर विभिन्न गंभीर बीमारियां मुफ्त में बांट जाते है।
इधर, बहरोड़ बीएसएमओ डॉ. पीएम मीणा का कहना है कि जो लोग देशी जड़ी बूटियों के नाम पर दवाइयां बेच रहे है और चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग तथा आयुर्वेद विभाग से मान्यता नही ले रखी है उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाएगी। उधर, बहरोड़ रेफरल अस्पताल प्रभारी डॉ. सुरेश यादव का कहना है कि देशी जड़ी बूटियों से निर्मित दवाइयों के नाम पर सडक़ किनारे बैठ कर दवाइयां बेचने वाले लोगों को विभिन्न बीमारियां दे जाते है ऐसे में उनका ईलाज करना मुश्किल हो जाता है।
नहीं है रजिस्टर्ड
कस्बे में सडक़ किनारे अपनी दुकान लगाकर देशी जड़ी बूटियों के नाम पर दवाई बेचने वाले यह नीम हकीम कही पर भी रजिस्टर्ड नहीं होते है। इनके द्वारा खानदानी वैद्य होने की बात कही जाती है तथा जड़ी बूटियां पहाड़ों से खोजकर लाई जाना बताया जाता है। ऐसे में इनके द्वारा दी गई दवाई के बाद अगर किसी व्यक्ति या महिला की मृत्यु हो जाए तो
इनको ढूंढना बड़ा मुश्किल काम हो जाता है।
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