30 साल से अधिक पुराना है भवन प्राचार्य के कमरे की दीवारों पर बड़ी बड़ी दरारें आई हुई है। छत के ऊपर से चूना झडऩे लगा है। दीवारों पर लगा प्लास्तर पुराना होने के कारण जगह जगह से उतरने लगा है। कमरे में जाते ही पहली नजर यहां की दीवारों पर ही पड़ती है । आईटीआई भवन के कमरों को रंग रोगन करके चमकाया गया है लेकिन दीवारों में आई अनेक बड़ी दरारें देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि भवन के हालात खराब है। आईटीआई भवन का निर्माण पीडब्ल्यूडी की ओर से करवाया गया था। यह हालात किसी एक कमरे की नहीं है बल्कि अधिकतर कमरों का यही हाल है। ऐसे में आए दिन हादसे की चिंता सताने लगी है। इससे बालिकाओं व स्टाफ में भय बना हुआ है।
6 ट्रेड में 220 से ज्यादा बालिकाएं ले रही हैं प्रशिक्षण बेसिक कॉस्टोमोलोजी 44, फैशन डिजायनिंग टैक्नॉलोजी -40, कंप्यूटर ऑपरेटर एंड प्रोगामिंग एसिस्टेंड -52, फ्रंट ऑफिस असिस्टेंट – 35, ड्रेस मेकिंग -21, स्टेनोग्राफी – 26 बालिकाएं तकनीकि शिक्षा ले रहे हैं। यहां पर शहर व ग्रामीण क्षेत्र से आती हैं।
पीडब्यूडी और निदेशालय को दी है सूचना आईटीआई के कमरों की हालत खराब है, दीवारों पर बड़ी बड़ी दरारें आ रही है। अनेक कमरों के यही हालात है। इसका प्रस्ताव तैयार करवाकर पीडब्ल्यूडी को निदेशालय को भिजवाया है बजट मिलते ही काम शुरु कर दिया जाएगा।
मनोज अग्रवाल, प्राचार्य, महिला आईटीआई, अलवर।