अलवर

कोरोना का डर ऐसा, अर्थी को ना बेटा कंधा दे रहा ना भाई, अपनों को दूर से देनी पड़ रही विदाई

अलवर में कोरोना से होने वाली मौत के बाद परिजन अपनों को कंधा नहीं दे रहे हैं। उन्हें दूर से ही विदाई दी जा रही है।

अलवरNov 23, 2020 / 07:14 pm

Lubhavan

कोरोना का डर ऐसा, अर्थी को ना बेटा कंधा दे रहा ना भाई, अपनों को दूर से देनी पड़ रही विदाई

अलवर. कोरोना के डर से इंसान इतना भयभीत हो गया है कि अपनों की अर्थी पर ही कंधा नहीं दे रहा है। अलवर में प्रतिदिन हो रही कोरोना से मौत में दाह संस्कार के समय अपने भी नहीं पहुंच रहे हैं। कई दाह संस्कार में बेटे भी पूरे नहीं आ पा रहे हैं तो भाई दूर से अर्थी जलते हुए देख रहा है। रिश्तेदार व परीचित घर से ही श्रद्धांजलि दे रहे हैं। जिनके घर में मौतें हो रही हैं, वे 12 दिन तक पूरे दिन अकेले बैठे रहते हैं।
कोरोना बीमारी का नाम आते ही आंखों के आगे मौत का मंजर नजर आता है। प्रतिदिन सैकड़ों लोग इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। इसके चलते अब लोग एक दूसरे के दुख बटाने में भी डर रहे हैं। दिल्ली के बाद बाद अलवर में भी सावधानी बरती जा रही है।
कोरोना का संक्रमण किसी को अपनी चपेट में न ले ले इसलिए अलवर शहर के श्मशान घाटों में इन दिनों सावधानी और सतर्कता बरती जा रही है। इन दिनों कोरोना बीमारी ने मौत के बाद होने वाले क्रिया कर्मों को सीमित कर दिया है। मृत्यु के बाद होने वाली क्रिया कर्म 5 दिन में ही निपटाए जा रहे हैं। ना अस्थियां समय पर हरिद्वार पहुंच रही है और ना ही घरों में गरुड़ पुराण सुनने कोई आ रहा है। बीमारी के चलते दूर से आने वाले परिजन भी शामिल नहीं हो पा रहे हैं और ऑन लाइन संवेदनाएं व्यक्त कर रहे हैं।
अलवर शहर के एन ई बी. स्थित श्मशान घाट में कर्म कांड कराने वाले पंडित पूरी सावधानी और सतर्कता बरत रहे हैं। श्मशान घाट में पंडित और जजमान सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाकर क्रिया कर्म करवा रहे हैं ताकि इस बीमारी से बचा जा सके।
इधर, शहर के प्रताप बंद, तीज की शमशान, भूरा सिद्ध शमशान सहित अन्य श्मशान घाटों में भी इसी तरह से ही क्रिया कर्म करवाए जा रहे हैं।

सरकार की ओर से पूर्व में ही शव यात्रा के दौरान संख्या निर्धारित कर दी गई थी । इसके चलते कम ही लोग श्मशान घाट तक पहुंचते हैं दूसरी तरफ डर इतना ज्यादा है कि लोग तीए की बैठक मैं भी श्रद्धांजलि नहीं दे पा रहे हैं।
श्मशान घाट में काम करने वाले कर्मचारियों ने बताया कि होम क्वंरटीन में रहते हुए अनेक लोगों की मृत्यु हो जाती है और वह प्रशासन को बिना सूचना दिए सीधे ही श्मशान घाट पहुंच जाते हैं । ऐसे लोगों की पहचान होना मुश्किल है । ऐसे में हमें भी पूरी सावधानी बरतने की जरूरत है।

Home / Alwar / कोरोना का डर ऐसा, अर्थी को ना बेटा कंधा दे रहा ना भाई, अपनों को दूर से देनी पड़ रही विदाई

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.