एक दिन में 2.5 से 3 लाख की बिक्री जिले में एक दिन में 2.5 से 3 लाख छोटे-बड़े सैनेटाइजर की बिक्री है। जिनकी अनुमानित कीमत कई करोड़ रुपए है। जबकि कोरोना से पहले पूरे जिले में करीब तीन हजार छोटे-बड़े सैनेटाइजर ही बिकते थे। एक तरह से सैनेटाइजर की बिक्री का आंकड़ा कई हजार गुना बढ़ गया है। जिला स्तर पर 200 ब्रांड हैं जबकि बड़े शहरों में तो संख्या अधिक है। इसी तरह मास्क की बिक्री बढ़ी है। हालांकि मास्क घरों मे ंबनने लगे हैं।
अब अधिक कीमत नहीं ले सकते ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर की ओर से अब सैनेटाइजर की दरें सुनिश्चित कर दी है। 50 एमएल का सैनेटाइजर 30 रुपए, 100 एमएल सैनेटाइजर 50 रुपए, 200 एमएल सैनेटाइजर पैकेट 100 रुपए और 500 एमएल सैनेटाइजर की कीमत 250 रुपए से अधिक नहीं हो सकती है। जबकि कोरोना से पहले सैनेटाइजर मनमर्जी की दरों पर बिके हैं। शुरुआत में बहुत कम्पनियों ने मनमर्जी के दामों में सैनेटाइजर बेचे हैं। सैनेटाइजर में 70 प्रतिशत एल्कोहल होना जरूरी है।
40 से 50 प्रतिशत कम हो गई दवाएं कोरोना के समय में एंटीबायोटिव व दर्द निवारक दवाओं की खपत 40 से 50 प्रतिशत कम हुई है। असल में इस समयावधि में आमजन घरों रहा है। बीमार होने पर भी अस्पतालों में दिखाने नहीं आ सके। जिसके कारण दवाओं की खपत कम होना स्वभाविक है। बीपी व शुगर की दवाएं तो नियमित रूप से लेनी होती है। इस कारण बिक्री बराबर है।
डॉ. जीएस सोलंकी, वरिष्ठ विशेषज्ञ मेडिसिन, अलवर
अब नहीं ले सकते अधिक कीमत अब सैनेटाइजर पर डीपीसीओ की दरें सुनिश्चित हैं। मतलब मनमर्जी की कीमत नहीं वसूल की जा सकती। यह सही है कि बाजार में 200 से भी अधिक कम्पनियों के सैनेटाइजर उपलब्ध हैं। पहले गिनीचुनी कम्पनी के सैनेटाइजर ही थे।
नगेन्द्र शर्मा, नैमिगो फॉर्मा कम्पनी प्रतिनिधि अलवर