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कोरोना काल में आ गए सेनेटाइजर के करीब 200 नए ब्रांड, आधी रह गई पैन किलर और एंटीबायोटिक दवाइयों की मांग

locationअलवरPublished: May 24, 2020 06:11:55 pm

कोरोना काल में सेनेटाइजर के 200 नए ब्रांड बाजार में आ गए, इससे पहले केवल 4-5 कंपनियों के सेनेटाइजर मिला करते थे।

Corona Virus: More Than 200 New Brands Of Sanitizers Launched

कोरोना काल में आ गए सेनेटाइजर के करीब 200 नए ब्रांड, आधी रह गई पैन किलर और एंटीबायोटिक दवाइयों की मांग

अलवर. कोरोना काल में पिछले दो माह में जिले में 200 से अधिक कम्पनियों के सैनेटाइजर बाजार में आ गए जबकि कोरोना से पहले अलवर जिले में मश्किल से पांच से सात कम्पनियों के सैनेटाइजर ही उपलब्ध थे। मेडिकल की दुकानों पर दवाओं से अधिक सैनेटाइजर नजर आते हैं। असल में पिछले दो माह में दवाओं से अधिक सैनेटाइजर व मास्क की बिक्री हुई है। तभी तो दुकानों के आगे काउंटर पर निगाह डालने पर केवल सैनेटाइजर ही दिखते हैं। जबकि दूसरी और एंटीबायोटिव व दर्द निवारक दवाओं की खपत 40 से 50 प्रतिशत कम हो गई है। हालांकि डायबिटिज व बीपी की दवाओं की बराबर खपत है। पहले लॉकडाउन में तो बीपी व शुगर की दवाओं की बिक्री बढ़ गई थी। मरीजों ने एक साथ अधिक संख्या में दवाएं ली थी।
एक दिन में 2.5 से 3 लाख की बिक्री

जिले में एक दिन में 2.5 से 3 लाख छोटे-बड़े सैनेटाइजर की बिक्री है। जिनकी अनुमानित कीमत कई करोड़ रुपए है। जबकि कोरोना से पहले पूरे जिले में करीब तीन हजार छोटे-बड़े सैनेटाइजर ही बिकते थे। एक तरह से सैनेटाइजर की बिक्री का आंकड़ा कई हजार गुना बढ़ गया है। जिला स्तर पर 200 ब्रांड हैं जबकि बड़े शहरों में तो संख्या अधिक है। इसी तरह मास्क की बिक्री बढ़ी है। हालांकि मास्क घरों मे ंबनने लगे हैं।
अब अधिक कीमत नहीं ले सकते

ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर की ओर से अब सैनेटाइजर की दरें सुनिश्चित कर दी है। 50 एमएल का सैनेटाइजर 30 रुपए, 100 एमएल सैनेटाइजर 50 रुपए, 200 एमएल सैनेटाइजर पैकेट 100 रुपए और 500 एमएल सैनेटाइजर की कीमत 250 रुपए से अधिक नहीं हो सकती है। जबकि कोरोना से पहले सैनेटाइजर मनमर्जी की दरों पर बिके हैं। शुरुआत में बहुत कम्पनियों ने मनमर्जी के दामों में सैनेटाइजर बेचे हैं। सैनेटाइजर में 70 प्रतिशत एल्कोहल होना जरूरी है।
40 से 50 प्रतिशत कम हो गई दवाएं

कोरोना के समय में एंटीबायोटिव व दर्द निवारक दवाओं की खपत 40 से 50 प्रतिशत कम हुई है। असल में इस समयावधि में आमजन घरों रहा है। बीमार होने पर भी अस्पतालों में दिखाने नहीं आ सके। जिसके कारण दवाओं की खपत कम होना स्वभाविक है। बीपी व शुगर की दवाएं तो नियमित रूप से लेनी होती है। इस कारण बिक्री बराबर है।
डॉ. जीएस सोलंकी, वरिष्ठ विशेषज्ञ मेडिसिन, अलवर
अब नहीं ले सकते अधिक कीमत

अब सैनेटाइजर पर डीपीसीओ की दरें सुनिश्चित हैं। मतलब मनमर्जी की कीमत नहीं वसूल की जा सकती। यह सही है कि बाजार में 200 से भी अधिक कम्पनियों के सैनेटाइजर उपलब्ध हैं। पहले गिनीचुनी कम्पनी के सैनेटाइजर ही थे।
नगेन्द्र शर्मा, नैमिगो फॉर्मा कम्पनी प्रतिनिधि अलवर

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