हरियाणा सरकार ने 18 मार्च 2019 और पंजाब सरकार ने 14 मार्च 2019 को बीटी कॉटन हाइब्रिड बीज बेचने की अनुमति दे दी। राजस्थान सरकार ने अभी तक इस बीज को बेचने की अनुमति नहीं दी है। इस समय अलवर सहित कई जिलों में कपास की बुवाई का समय आ गया है। अलवर जिले में कपास का रकबा प्रतिवर्ष बढ़ता जा रहा है। बीते वर्ष 50 हजार हैक्टेयर में कपास की बुवाई हुई थी। अलवर जिले में किसानों ने खेतों में पलेवा कर लिया है। बीज नहीं मिला तो दुबारा पलेवा करने में और अधिक पानी की आवश्यकता होगी। बीते वर्ष बीज की मार्केटिंग करने वाली 30 कम्पनियों को अनुमति दी गई थी प्रदेश में अलवर, हनुमानगढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, नागौर, जौधपुर व पाली जिलों में कपास की पैदावार होती है। प्रदेश में 5 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में इसकी बुवाई होती है। बीते वर्ष प्रदेश में 400 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था। किसान देशी व अमेरिकन के साथ बीटी कॉटन की खेती करता हे। बीटी कॉटन से एक हैक्टेयर में 35 क्विंटल तक उत्पादन हो सकता है। यह कृत्रिम तरीके से बनाया गया बीज है। इसके बीज को तैयार करने में एक जीन या अन्य फसल का जीन दूसरे पौधें में रोपित किया जाता है। कृषि उप निदेशक पीसी मीणा कहते हैं कि अभी तक बीटी काटॅन बीज बेचने की अनुमति नहीं आई है।
बढ़ सकती है समस्या खाद बीज संघ के प्रदेश सचिव नरेश गोयल का कहना है कि इस समय सरकार के मंत्री चुनाव दौरों में व्यस्त हैं। हाइब्रिड किस कम्पनी का बिकना है, इसकी अनुमति नहीं मिली है जिससे किसान परेशान हो रहे हैं। किसान बीज नहीं मिलने पर वापस लौट जाते हैं। सिरमौर निवासी किसान परविन्द्र सिंह कहते हैं कि वे इस मौसम में कपास की बुवाई करते हैं। किसान हरबंस सिंह का कहना है कि कृषि विभाग को किसानों की समस्या का ध्यान नहीं है। यदि कुछ दिन तक बीज नहीं मिला तो समस्या विकराल हो जाएगी।