यूआईटी फेज थर्ड के थाना प्रभारी रतन सिंह ने बताया कि सांथलका में राकेश टैक्नो नाम की कंपनी है। कंपनी ने अपने श्रमिकों के लिए पास में ही क्वार्टर बना रखे हैं। इन्हीं क्वार्टरों में श्रमिक रह भी रहे हैं। कंपनी प्रबंधन ने हादसे की सूचना पुलिस को बुधवार सुबह करीब 6 बजे दी। इसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची तो बताया गया कि श्रमिक नीचे की मंजिल में रात को खाना बना रहे थे। इसी दौरान सिलेण्डर से गैस रिसाव हो गया। यह गैस कमरे में भर गई। जैसे-तैसे सिलेण्डर को बाहर निकाल लिया, लेकिन उससे गैस रिसाव जारी रहा और वहां पास ही जल रही अंगीठी से गैस ने आग पकड़ ली और कमरे में अचानक ब्लास्ट हो गया। इससे दो मंजिला मकान ध्वस्त हो गया।
मकान के मलबे और आग की चपेट में आने से आठ जने घायल हो गए। कंपनी प्रबंधन ने इन्हें रात में ही भिवाड़ी के एक निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया। इनमें से गंभीर हालत में एक महिला को उपचार के लिए दिल्ली भेज दिया, जबकि तीन जनों को छुट्टी दे दी गई। चार जनों का भिवाड़ी के निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। थाना प्रभारी ने बताया कि अलवर से एफएसएल टीम बुलाकर घटनास्थल से साक्ष्य जुटाए गए। घायल शिवकुमार पुत्र रामप्यारे के पर्चा बयान पर कंपनी प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
ये हुए घायल हादसे में राकेश कुमार, शिवकुमार, शारदा, मीला, आसमोहम्मद, बसंत, देवाशीष व रामाशीष घायल हुए। इनमें से मीला नामक महिला को हालत गंभीर होने के कारण इलाज के लिए दिल्ली भेज दिया है, जबकि रामाशीष, देवाशीष व बसंत को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।
जिस सिलेण्डर से बता रहे गैस रिसना, वह सुरक्षित कंपनी प्रबंधन की ओर से पुलिस को जिस छोटे गैस सिलेण्डर से गैस रिसना बताया गया, वह सिलेण्डर पूरी तरह सुरक्षित है। इस कारण कंपनी प्रबंधन का तर्क पुलिस ही नहीं, किसी के भी गले नहीं उतर रहा कि छोटे गैस सिलेण्डर से रिसी गैस ने आग पकड़ी और ब्लास्ट हो गया। पुलिस का कहना है कि इस तर्क को मान भी लिया जाए तो समय रहते पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी गई और गैस सिलेण्डर पूरी तरह सुरक्षित कैसे बच गया?