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मृतक व्यापारी मुकेश की बेटी को पता तक नहीं, मासूमियत से पूछ रही पापा कब घर आएंगे?

locationअलवरPublished: Mar 11, 2018 11:16:30 am

Submitted by:

Prem Pathak

खैरथल में व्यापारी की हत्या के बाद उसकी छोटी बेटी को अभी तक पता नहीं, वह पूछ रही है पापा कब आएंगे?

Daughter of died businessman don't even know about his father's death
खैरथल में युवा व्यापारी मुकेश अग्रवाल की छोटी बेटी हेमी को पता ही नहीं कि उसके पापा कब घर आएंगे? घर में इतनी भीड़ क्यूं जमा है? उस मासूम को यह पता नहीं कुछ हत्यारों ने चंद स्वार्थ के चलते उसके सिर से पिता का साया छीन लिया। यही कारण था कि वह घर में जमा भीड़ को टकटकी लगाए देखती और फिर अपनी बड़ी बहन से पूछती कि पापा बाहर से कब आएंगे?
हेमी के पिता मुकेश जब भी दुकान से आते थे तो कक्षा नवीं में पढऩे वाली योशिका और तीसरी में पढऩे वाली हेमी को प्यार से बैठाकर बात करते और उनकी पढ़ाई के बारे में पूछते। वे घर के लिए हमेशा कोई खाने-पीने की चीज लेकर आते थे। वे दोनों बेटियों को बहुत प्यार करते थे। वे दोनों बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाने की बात करते थे। बड़ी बेटी योशिका तो सारे घटनाक्रम को समझ रही है, लेकिन छोटी बेटी हेमी अब तक यह नहीं समझ पाई कि आखिर उनके घर में भीड़ क्यू जमा है और उसके पिता कहां है? हेमी ने शनिवार को कई बार पूछा कि उसके पापा बाहर से कब आंएगे? मैं पापा के साथ घूमने जाऊंगी। वह बार- बार घर के दरवाजे की ओर टकटकी लगाए पिता के लौटने का इंतजार करती दिखी। मुकेश की मौत के बाद उनकी मां द्रोपदी और पिता रवि अग्रवाल का रो- रो कर बुरा हाल है। उन्हें इस विपदा में यह नहीं सूझ रहा कि आखिर वे अपनी पुत्रवधू नीतू को कैसे ढांढस बंधाएं।
दुकान से सीधे घर जाता था मुकेश

प्रसिद्ध रिटेल व होलसेल किराना व्यापारी मुकेश का कस्बे में अच्छा नाम था। उसकी फर्म रविन्द्रकुमार एण्ड संस की भी अच्छी साख थी। फर्म पर पिता-पुत्र के अलावा कई नौकर भी थे। परिजनों के अनुसार मुकेश रात को दुकान से सीधा स्कूटी की डिक्की में कैश लेकर घर जाता था। घटना के दौरान उसके बैग में करीब पांच लाख रुपए थे। उसका घर दुकान से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर था। मुकेश आठ-सवा आठ बजे दुकान बंद कर स्कूटी से मेन मार्केट, रेल फाटक, किशनगढ़ रोड होते हुए मुरली कॉलोनी स्थित घर जाता था। यह उसका रोजाना का नियम था। इस दौरान रास्ते में वह न किसी से बात करता और न रुकता था। उसके पिता रविकुमार भी शाम साढ़े छह -सात बजे दुकान से घर चले जाते थे। पिता-पुत्र के पहुंचने के बाद घर से सभी सदस्य एक साथ बैठकर खाना खाते थे। घटना के दिन भी दोनों बेटियों सहित परिजनों ने खाना नहीं खाया।
श्याम भक्त व गायक था मुकेश

कस्बे में कई तरह की खेल व भक्ति गतिविधियों में सक्रिय भाग लेने वाला युवा व्यापारी मुकेश गर्ग खाटू श्याम का अनन्य भक्त था। कस्बे में बड़े-बड़े गायकों को लाने व विशाल श्याम जागरण कराने में उनकी प्रमुख भूमिका रहती थी। कई बार वह भी खुद को नहीं रोक पाता था और जागरण में भजन गाने लगता था। दरअसल, मुकेश भी गायक था। हालांकि बड़े कार्यक्रम अथवा मंच पर उसने अपनी कला का प्रदर्शन नहीं किया, लेकिन कस्बे में होने वाले श्याम बाबा के जागरण में भजन गंगा में बह कई बार वह भी भजन की प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता था। सुबह मॉनिँंग वॉक व बैडमिंटन खेलना भी उसकी दिनचर्या में शामिल था।

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