एेसे बिगड़ सकते हैं हालात अकेले अलवर शहर की बात करें तो यहां पेजयल व्यवस्था के लिए करीब 220 टयूबवैल लगे हैं। इनमें से हर साल करीब 15 ट्यूबवैल सूख जाते हैं। शहर की पेयजल व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए जलदाय विभाग हर साल लाखों रुपए खर्च कर लगभग इतनी ही संख्या में नए ट्यूबवैल खुदवाने पड़ते हैं। ट्यूबवैलों के सूखने और हर साल नए खुदवाने की मजबूरी के चलते ही भूजल विशेषज्ञ आगामी 15 सालों में पीने के लिए पानी नहीं की आशंका जताने लगे हैं। तूलेड़ा व अम्बेडकर नगर के टयूबवैल में पानी का स्तर बीते सालों की तुलना में बिल्कुल कम हो गया है। अभी केवल जयसमंद क्षेत्र में खुदे टयूबवैल से शहर को पानी सप्लाई हो रहा है।
पेयजल टंकी व टैंक रहते हैं खाली
शहर में अभी 35 पानी की टंकी व 30 पानी के टैंक हैं। इनमें से करीब 8 से 10 पानी की टंकी खाली पड़ी रहती हैं। जबकि अन्य टंकी पूरी नहीं भर पाती है। इसी तरह के हालात पानी के टैंक के रहते हैं। पानी के टैंक भी खाली पड़े रहते हैं। खास बात यह है कि जलदाय विभाग शहर में पेयजल व्यवस्था करने के बजाय करोड़ों रुपए खर्च करके नए निर्माण कार्यों में लगा है।
शहर में अभी 35 पानी की टंकी व 30 पानी के टैंक हैं। इनमें से करीब 8 से 10 पानी की टंकी खाली पड़ी रहती हैं। जबकि अन्य टंकी पूरी नहीं भर पाती है। इसी तरह के हालात पानी के टैंक के रहते हैं। पानी के टैंक भी खाली पड़े रहते हैं। खास बात यह है कि जलदाय विभाग शहर में पेयजल व्यवस्था करने के बजाय करोड़ों रुपए खर्च करके नए निर्माण कार्यों में लगा है।
नए टयूबवैल की मिली मंजूरी
कुछ दिन पहले जलदाय विभाग को 42 नए टयूबवैल खोदने की अनुमति मिली है। इसमें 14 टयूबवैल सिलीसेढ़ क्षेत्र में खोदे जाने हैं। विभाग के अधिकारियों का दावा है कि नए टयूबवैल से शहर के लोगों को फायदा होगा।
एनसीआर योजना में करोड़ों खर्च
एनसीआर योजना के तहत अलवर शहर में 147 करोड़ रुपए की लागत से 16 पानी की नई टंकी, 15 पानी के टैंक व करीब 450 किलोमीटर लम्बी पाइन लाइन डाली जा रही है। जबकि इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी। पुराने संसाधनों से आसानी से कार्य पूरा हो सकता था।