अलवर

आपने मिलावटी सामानों के सैंपल लेते तो बहुत बार देखा होगा, लेकिन जानिए उसके बाद आगे क्या होता है

आपने मिलावट रोकने के लिए अधिकारियों को खाद्य सामग्री के सैंपल लेते तो बहुत बार देखा होगा, लेकिन उसके पीछे की सच्चाई को।

अलवरJan 15, 2018 / 01:11 pm

Himanshu Sharma

अलवर. स्वास्थ्य विभाग मिलावट रोकने के नाम पर केवल खानापूर्ति करता है। खाद्य सुरक्षा अधिकारी जो सैम्पल लेते हैं। उनकी रिपोर्ट दो से तीन माह में आती है। जब तक बाजार में मिलावटी सामान बिक जाता है। एेसे में मिलावट करने वालों के हौसले बुलंद हो रहे हैं व खुलेआम मिलावट हो रही है। दूसरी तरफ केंद्र सरकार अलवर सहित प्रदेश की छह लैब में करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा कर रही है।
केंद्र सरकार ने अलवर, जयपुर , जोधपुर , अजमेर , उदयपुरकोटा की खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला को आधुनिक बनाने के लिए 10 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। इसके अलावा प्रदेश को जल्द ही अत्याधुनिक मोबाइल जांच लैब उपलब्ध कराने की बात कही है। लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट है। अलवर की जांच लैब में भरतपुर, अलवर, धौलपुर, दौसा सहित कई जिलों के सैम्पलों की जांच होती है। सैम्पल जांच में एक से दो माह का समय लग जाता है। उस समय तक बाजार में मिलावटी सामान बिक जाता है। तीन साल पहले भी अलवर को मोबाइल टेस्टिंग लैब के लिए बजट मिला था। लेकिन वो सेवा आज तक शुरू नहीं हो पाई है। वित्त वर्ष की अवधी पूरी होने पर बजट भी विभाग में वापस चला गया।
मिलावट करने वालों पर नहीं होती कार्रवाई

मिलावट करने वालों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाही नहीं होती। आज तक एक भी मिलावट करने वालों को जेल नहीं हुई। ना ही किसी मिलावट करने वालों पर मोटा जुर्माना लगा है। इसलिए लोग में डर समाप्त हो चुका है।
अब तक की जांच के हालात

प्रदेश की जांच लैब में 5 अगस्त 2011 से 30 नवंबर 2017 तक 47,492 नमूने एकत्र किए गए थे। इनमें से 23 हजार 362 उच्च जोखिम श्रेणी में थे। 5598 घटिया और असुरक्षित थे।
स्टाफ की कमी के चलते थोड़ी परेशानी आ रही है। व्यवस्थाओं को सुधारने के प्रयास किए जाएंगे। मोबाइल प्रयोग शाला अलवर में शुरू करने व खाद्य सैम्पलों की तुरंत रिपोर्ट मिल सके। उसके भी प्रयास किए जाएंगे। जिससे बाजार में बिकने वाले मिलावटी सामान पर रोक लग सके।
डॉ. एसएस अग्रवाल, सीएमएचओ, अलवर

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