बिगड़ी यातायात व्यवस्था ट्रक चालकों से लेकर उद्योगपति परेशान हैं। ट्रक चालकों का कहना है कि जो रास्ता 15 मिनट में पूरा हो जाता था, अब वही दूरी 8 से 10 घंटे में पूरी कर रहे हैं। शाहजहांपुर बॉर्डर पर जाम के कारण ट्रक चालक सक्तपुरा, गूगलकोटा के रास्ते हरियाणा में प्रवेश ले रहे हैं। जिससे सड़क पर 3-3 फ़ीट गहरे गड्ढे हो गए हैं। जाम के कारण माल देरी से पहुंच रहा है जिससे ट्रक चालकों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। दिल्ली से आने वाले वाहन भी राष्ट्रीय राजमार्ग पर रेंगते हुए चल रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि किसानों की मांगें मान ली गई हैं, अब आंदोलन को जल्द समाप्त कर स्थिति को सामान्य किया जाए।
डायवर्सन के कारण घंटों जाम डायवर्सन के कारण कस्बों और गांवों में कई घंटों एक जाम लगने लगा है। हाइवे जाम होने के बाद से अधिकांश ट्रक चालक ततारपुर चौराहा, खैरथल, हरसौली, बीबीरानी के रास्ते हरियाणा में प्रवेश कर रहे हैं। वहीं बहरोड़ फ्लाईओवर से नारनौल, कुंड और अलवर की तरफ वाहन चालक आ रहे हैं। भारी वाहनों की वजह से मुख्य बाजारों में कई घंटे जाम लग रहा है। वहीं सक्तपुरा के पास क्षतिग्रस्त सड़क पर आए दिन ट्रक पलट रहे हैं जिससे कई दिनभर जाम लग जाता है।
आए दिन हादसे, 20 से अधिक लोगों की जान गई भारी वाहन के कारण लगातार हादसे हो रहे हैं। पिछले एक साल में जिले के विभिन्न कस्बों और गांवों में 50 से अधिक दुर्घटनाओं में 20 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। 14 नवंबर को सक्तपुरा के पास ट्रक ने तीन लोगों को कुचल दिया। 9 नवंबर को अलसुबह गाजर बेचकर पिकअप से लौट रहे किसानों को ट्रक ने टक्क्र मार दी जिसमें 2 किसानों की मौत हो गई थी और 2 गंभीर घायल हो गए थे।21 अक्टूबर को गूगलकोटा बस स्टैंड के समीप पिकअप की टक्क्र से एक युवक की मौत हो गई थी। मुंडावर थाना क्षेत्र के भजनावास गांव में दो युवा किसानों की मौत के कारण भी कोहराम मचा था। इन घटनाओं के अलावा भिवाड़ी, ततारपुर, खैरथल, हरसौली आदि कस्बों में भी अधिक सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं।
उद्योगों में 35 प्रतिशत उत्पाद कम हुआ जाम के कारण बिगड़ी यातायात व्यवस्था से अकेले नीमराणा औद्योगिक क्षेत्र में एक साल में 35 प्रतिशत तक उत्पाद में कमी आई है। उद्योगों को हजारों करोड़ों रूपए का आर्थिक नुकसान हुआ है। नीमराना औद्योगिक संघ के अध्यक्ष केजी कौशिक ने बताया कि आंदोलन के कारण शुरुआत में कई दिनों तक कच्चा माल उद्योगों तक नहीं पहुंचा। कई बाद श्रमिकों की बसों को बॉर्डर पर रोक दिया गया। अभी भी ट्रक 4-5 घंटे देरी से माल लेकर पहुंच रहे हैं। वहीं सप्लाई चैन भी प्रभावित हो रही है। घीलोठ औद्योगिक संघ के अध्यक्ष चरण सिंह ने कहा कि कोरोना के कारण उद्योगों पर आर्थिक मार पड़ी है। ऊपर से यातायात व्यवस्था प्रभावित होने से अधिक नुकसान हो रहा है। उद्योगपतियों ने प्रशासन व सरकार से स्थिति में सुधा की थी लेकिन हल नहीं निकल पाया।
ट्रांसपोर्टर बोले- चारों तरफ से नुक़सान झेल रहे ट्रांसपोर्टर और ट्रक चालक भी जाम के कारण परेशान हैं। रूट में बदलाव के कारण ट्रक चालकों को जाम से जूझना पड़ रहा है। क्षतिग्रस्त सड़क से प्रतिदिन टायर फट रहे हैं। गूगलकोटा के समीप कई बार ट्रक पलट चुके हैं जिससे लम्बा जाम लग गया। ट्रांसपोर्टर अजीत सिंह ने बताया कि जाम के कारण समय, ईंधन तो खर्च होता ही है, समय पर माल नहीं पहुंचने से जुर्माना भी उठाना पड़ रहा है। किसानों से कई बार रास्ता देने की मांग कर चुके हैं लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया।
फैक्ट फाइल: दिल्ली-जयपुर हाइवे पर भारी वाहनों की तुलना अक्टूबर 2020 ट्रक- 57 हजार 973
एमएवी- 4 लाख 53 हजार 490 अक्टूबर 2021 ट्रक- 32 हजार 476
एमएवी- 2 लाख 72 हजार 550