अलवर में अब तेज हो रही है मार्बल मंडी की मांग, मिलेगा यह फायदा
अलवर में मार्बल मंडी की मांग तेज हो रही है। अभी तक मंडी न होने के कारण परेशानी हो रही है।

अलवर. यूआईटी के तंग खजाने के चलते शहर में मार्बल की दुकानें बिखरती जा रही हैं। जिसकारण भारी वाहन नो एंट्री जोन में मार्बल लेकर पहुंचने से हर समय दुर्घटना का डर रहता है। मथुरा फाटक के पास मार्बल मण्डी बसाने को लेकर यूआईटी ने करीब 10 हैक्टेयर मंदिर माफी की जमीन अवाप्त कर ली। मौके पर काबिज लोगों को मुआवजा देना तय हो गया। इसके बावजूद आगे की प्रक्रिया में इन्तजार हो रहा है।
पिछले करीब चार से पांच सालों में मार्बल मण्डी बिखरती जा रही है। इस समय शहर के बीच में तेजमण्डी, दो सौ फीट रोड, तिजारा फाटक, नयाबास सहित कई जगहों पर मार्बल की दुकानें बिखर गई हैं। टेल्को चाराहे के पास मथुरा फाटक के निकट मार्बल व कातला मण्डी बनाने की पूरी योजना बन चुकी है। जमीन अवाप्ति के बाद तय मुआवजा नहीं देने के कारण प्रक्रिया अधर है। करीब 22.86 करोड़ रुपए का मुआवजा यूआईटी को जमा कराना है।
यह राशि जमा होने के बाद यूआईटी मार्बल व कातला मण्डी के दुकानदारों को दुकानें तय दर पर आवंटित कर
सकती है।
जमीन का सदुपयोग होगा
यदि तेजमण्डी में मार्बल की जमीन खाली होगी तो इसका पार्क के रूप में बड़ा सदुपयोग हो सकेगा। इसके अलावा कातला पट्टी की दुकानों की जमीन भी मौके पर हैं। इसका भविष्य में रेलवे या अन्य उपयोग में हो सकता है। एक जगह कातला व मार्बल की दुकानें होंगी तो खरीददारों को आसानी होगी। एक जगह ही सभी तरह का मार्बल मिलेगा। इसके साथ ही खरीददारों को मार्बल की गुणवत्ता के लिए अलग-अलग जगहों पर नहीं जाना पड़ेगा।
अधिकारी कह रहे जल्दी करेंगे
मार्बल मण्डी को लेकर हम कई बार यूआईटी के अधिकारियों से मिल चुके हैं। जमीन अवाप्ति की प्रक्रिया करीब-करीब पूरी हो गई है। यूआईटी को मुआवजा राशि जमा करानी है। इसमें विलम्ब हो रहा है।
सुरेश गुप्ता,संरक्षक, मार्बल एसोसिएशन, अलवर
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