बागेश्वर पाठाधीश्वर की लोहिया तिबारे पर हनुमंत कथा : हिन्दू धर्म में शक्तियों की कोई कमी नहीं अलवर. बागेश्वर पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि चाहे पंथ अनेक हो, लेकिन हम सब ङ्क्षहदू एक हैं, नफरत नहीं हम प्रेमवादी हैं, गर्व से कहो हम सनातनवादी हैं। वे लोहिया का तिबारा पर आयोजित हनुमंत कथा के दूसरे दिन शनिवार को दिव्य दरबार में श्रद्धालुओं को प्रवचन कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा पर्चा, दरबार व कथा तो बहाना है। हमें तो ङ्क्षहदुओं का जगाना है। ङ्क्षहदुओं से एकजुट होने आव्हान करते हुए कहा कि तुम्हें दूसरे धर्म में जाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हमारे धर्म में ही शक्तियों की कमी नहीं है। उन्होंने ङ्क्षहदू राष्ट्र की वकालत की। वहीं, सनातन का विरोध करने वालों को आड़े हाथ लेते हुए धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि जो यह कहते हैं कि सनातन में क्या है, उनको बताने के लिए बागेश्वर बालाजी का दरबार है। दरबार में वही आते हैं, जिन्हें बालाजी बुलाते हैं : शास्त्रीअलवर. दिव्य दरबार के बाद आयोजित हनुमंत कथा में पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि बालाजी की महफिल को बालाजी ही सजाते हैं। इस दरबार मेें वही आते हैं, जिन्हें बालाजी बुलाते हैं। इस बीच श्रद्धालुओं को प्रवचन करते हुए कहा कि जन्म दात्री मां होती है, लेकिन धर्म को जन्म देने वाले महात्मा होते हैं।उन्होंने कहा कि मुझे इस बात का गौरव है कि मैं ङ्क्षहदू हूं और ङ्क्षहदुस्तान मेरा है। अहंकार को बुराई बताते हुए उन्होंने कहा कि यदि अहंकार है तो गुरु बजरंगी के चरण पकड़ लो। दूसरों को प्रवचन देने वालों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ऐसे लोग बहुतेरे मिल जाएंगे, लेकिन बात केवल प्रवचनों को जीवन में उतारने में ही है। जुबान का कहा जो जीवन में उतार ले वही विद्यावान है। भगवान के गुणों की व्याख्या करते हुए कहा कि भगवान का नाम ही परमपिता है, वो सबकी फिक्र करते हैं। इस बीच अलवर सांसद बालकनाथ ने भी श्रद्धालुओं को संबोधित किया। इससे पहले कैबिनेट मंत्री टीकाराम जूूली, दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी, भजन गायक कन्हैया मित्तल व सीए श्रीकिशन गुप्ता सहित कई लोगों ने बजरंग बली की आरती की।दिव्य दरबार में 20 लोगों को नाम पुकार मंच पर बुलाया दिव्य दरबार में 25 लोगों की अर्जियां स्वीकार की गई। इसमें से अधिकांश अर्जियां गृहक्लेश, कारोबार में बाधा, कर्जा, नौकरी व स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों की थी। इसके साथ ही पिता, नाना व भाई की मौत का रहस्य जानने के इच्छुक लोगों की अजियां भी आई। इस दौरान पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री शुरू में 20 लोगों को नाम बोलकर या इशारा कर मंच पर बुलाया। इसके बाद बारी-बारी से सभी लोगों की समस्याओं को पर्चे पर लिखकर उनके समाधान के बारे में बताया। इसके बाद 5 लोगों की समस्याओं को खुद ने पहले ही पर्चे में लिखा। इसके बाद अन्य लोगों से किसी को भी पांडाल से बुलाने को कहा। जबकि उनकी समस्याएं पर्चे में पहले ही लिखी जा चुकी थी। वहीं, जिनकी पर्चियां लगी उनमें अलवर सहित भरतपुर, कठूमर, जयपुर व ऋषिकेश, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों से आए श्रद्धालु शामिल थे। इसमें कठूमर, लक्ष्मणगढ़, मालाखेड़ा, रामपुरा, खो-दरीबा, अकबरपुर, बहरोज, बहादरपुर, तिजारा, बहरोड़ व अलवर के साठ फीट रोड सहित अलवर जिला सहित आसपास के क्षेत्र के लोगों की संख्या सबसे अधिक रही। वहीं, ऋषिकेश से आए श्रद्धालु ने केवल भगवान से जुड़े रहने के लिए अर्जी लगाई थी। अंत में दरबार लगाया गया। इसमें पीडि़त महिला-पुरुषों का इलाज किया गया। चौपाई व भजनों पर खूब झूमे श्रद्धालुहनुमंत कथा के दौरान संगीतमयी चौपाई व भजनों से पूरा माहौल धर्ममय दिखाई दे रहा था। हर तरफ श्रद्धालु तालियां बजा कर भगवान के भजनों पर झूमते दिखाई दे रहे थे। इस बीच कन्हैया मित्तल के भजन हारा हूं बाबा बस तेरा सहारा पर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। इसके साथ ही मनोज तिवारी के ओर से भी भजनों के माध्यम से भगवान का गुणगान किया गया। जिन्हें सुनकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।
बागेश्वर पाठाधीश्वर की लोहिया तिबारे पर हनुमंत कथा : हिन्दू धर्म में शक्तियों की कोई कमी नहीं अलवर. बागेश्वर पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि चाहे पंथ अनेक हो, लेकिन हम सब ङ्क्षहदू एक हैं, नफरत नहीं हम प्रेमवादी हैं, गर्व से कहो हम सनातनवादी हैं। वे लोहिया का तिबारा पर आयोजित हनुमंत कथा के दूसरे दिन शनिवार को दिव्य दरबार में श्रद्धालुओं को प्रवचन कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा पर्चा, दरबार व कथा तो बहाना है। हमें तो ङ्क्षहदुओं का जगाना है। ङ्क्षहदुओं से एकजुट होने आव्हान करते हुए कहा कि तुम्हें दूसरे धर्म में जाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हमारे धर्म में ही शक्तियों की कमी नहीं है। उन्होंने ङ्क्षहदू राष्ट्र की वकालत की। वहीं, सनातन का विरोध करने वालों को आड़े हाथ लेते हुए धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि जो यह कहते हैं कि सनातन में क्या है, उनको बताने के लिए बागेश्वर बालाजी का दरबार है। दरबार में वही आते हैं, जिन्हें बालाजी बुलाते हैं : शास्त्रीअलवर. दिव्य दरबार के बाद आयोजित हनुमंत कथा में पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि बालाजी की महफिल को बालाजी ही सजाते हैं। इस दरबार मेें वही आते हैं, जिन्हें बालाजी बुलाते हैं। इस बीच श्रद्धालुओं को प्रवचन करते हुए कहा कि जन्म दात्री मां होती है, लेकिन धर्म को जन्म देने वाले महात्मा होते हैं।उन्होंने कहा कि मुझे इस बात का गौरव है कि मैं ङ्क्षहदू हूं और ङ्क्षहदुस्तान मेरा है। अहंकार को बुराई बताते हुए उन्होंने कहा कि यदि अहंकार है तो गुरु बजरंगी के चरण पकड़ लो। दूसरों को प्रवचन देने वालों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ऐसे लोग बहुतेरे मिल जाएंगे, लेकिन बात केवल प्रवचनों को जीवन में उतारने में ही है। जुबान का कहा जो जीवन में उतार ले वही विद्यावान है। भगवान के गुणों की व्याख्या करते हुए कहा कि भगवान का नाम ही परमपिता है, वो सबकी फिक्र करते हैं। इस बीच अलवर सांसद बालकनाथ ने भी श्रद्धालुओं को संबोधित किया। इससे पहले कैबिनेट मंत्री टीकाराम जूूली, दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी, भजन गायक कन्हैया मित्तल व सीए श्रीकिशन गुप्ता सहित कई लोगों ने बजरंग बली की आरती की।दिव्य दरबार में 20 लोगों को नाम पुकार मंच पर बुलाया दिव्य दरबार में 25 लोगों की अर्जियां स्वीकार की गई। इसमें से अधिकांश अर्जियां गृहक्लेश, कारोबार में बाधा, कर्जा, नौकरी व स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों की थी। इसके साथ ही पिता, नाना व भाई की मौत का रहस्य जानने के इच्छुक लोगों की अजियां भी आई। इस दौरान पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री शुरू में 20 लोगों को नाम बोलकर या इशारा कर मंच पर बुलाया। इसके बाद बारी-बारी से सभी लोगों की समस्याओं को पर्चे पर लिखकर उनके समाधान के बारे में बताया। इसके बाद 5 लोगों की समस्याओं को खुद ने पहले ही पर्चे में लिखा। इसके बाद अन्य लोगों से किसी को भी पांडाल से बुलाने को कहा। जबकि उनकी समस्याएं पर्चे में पहले ही लिखी जा चुकी थी। वहीं, जिनकी पर्चियां लगी उनमें अलवर सहित भरतपुर, कठूमर, जयपुर व ऋषिकेश, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों से आए श्रद्धालु शामिल थे। इसमें कठूमर, लक्ष्मणगढ़, मालाखेड़ा, रामपुरा, खो-दरीबा, अकबरपुर, बहरोज, बहादरपुर, तिजारा, बहरोड़ व अलवर के साठ फीट रोड सहित अलवर जिला सहित आसपास के क्षेत्र के लोगों की संख्या सबसे अधिक रही। वहीं, ऋषिकेश से आए श्रद्धालु ने केवल भगवान से जुड़े रहने के लिए अर्जी लगाई थी। अंत में दरबार लगाया गया। इसमें पीडि़त महिला-पुरुषों का इलाज किया गया। चौपाई व भजनों पर खूब झूमे श्रद्धालुहनुमंत कथा के दौरान संगीतमयी चौपाई व भजनों से पूरा माहौल धर्ममय दिखाई दे रहा था। हर तरफ श्रद्धालु तालियां बजा कर भगवान के भजनों पर झूमते दिखाई दे रहे थे। इस बीच कन्हैया मित्तल के भजन हारा हूं बाबा बस तेरा सहारा पर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। इसके साथ ही मनोज तिवारी के ओर से भी भजनों के माध्यम से भगवान का गुणगान किया गया। जिन्हें सुनकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।