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चिकित्सक हड़ताल पर, यहां मरीज इलाज को तरसे, गंभीर मरीजों को किया रैफर

locationअलवरPublished: Dec 18, 2017 09:23:12 am

Submitted by:

Rajiv Goyal

चिकित्सकों की हड़ताल के चलते अलवर के सामान्य अस्पतालों में मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। परिजन मरीजों को अस्पताल से डिस्चार्ज करा चले गए।

due to doctors strike patients face problem
अलवर. सरकार व चिकित्सकों के बीच 12 नवम्बर को हुए समझौते की क्रियान्वित नहीं होने से नाराज सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक रविवार से अनिश्तिकालीन हड़ताल पर चले गए। चिकित्सकों के हड़ताल पर जाने से अस्पतालों में चिकित्सा सेवाएं चरमरा गई। मरीजों को उपचार के लिए दर-दर भटकना पड़ा। अस्पतालों में भर्ती मरीज खुद डिस्चार्ज होकर चले गए। चिकित्सकों की हड़ताल से मरीजों की जेब भी कटी।
निजी चिकित्सालयों ने उनसे मनमाने पैसे वसूले। हड़ताल से सबसे अधिक परेशानी पोस्टमार्टम में आई। अस्पतालों में पोस्टमार्टम के लिए डॉक्टर ही नहीं मिले। मजबूरन लोगों को अपने सगे-संबंधियों के अन्तिम संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ा। अलवर में हड़ताल के चलते अस्पताल खाली रहे। शहर के तीनों सरकारी चिकित्सालयों में प्रमुख चिकित्सा अधिकारी को छोड़ सभी सेवारत डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। इससे अस्पतालों में भर्ती मरीजों को देखने वाला भी कोई नहीं बचा।

अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के महासचिव डॉ. विकास भारद्वाज ने बताया कि रविवार को बहरोड़, बडऱ्ोद व भिवाड़ी सीएचसी को छोडक़र जिले के सभी सरकारी चिकित्सालयों में कार्यरत सेवारत चिकित्सक हड़ताल पर रहे। उन्होंने दावा किया कि सोमवार को ये डॉक्टर भी हड़ताल में शामिल हो जाएंगे।

सरकारी व्यवस्थाओं की खुली पोल


चिकित्सकों की हड़ताल से निपटने के लिए सरकार ने शहर के दस निजी चिकित्सालयों में मरीजों की सुविधा के लिए अस्पताल की पर्ची पर मुफ्त परामर्श की व्यवस्था की, लेकिन सरकार की इस व्यवस्था की पहले दिन ही पोल खुल गई। निजी चिकित्सालयों में मरीजों की जमकर जेब काटी गई। इसकी शिकायत पीएमओ तक भी पहुंची। प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. भगवान सहाय ने बताया कि एक निजी हॉस्पिटल ने मरीजों से अस्पताल की पर्ची लेकर खुद की पर्ची पर दवाइयां लिखी। इसके चलते मरीज अस्पताल से नि:शुल्क दवा लेने से वंचित रह गए। एेसी कुछ पर्चियां उनके पास भी आई। इन मरीजों को बाद में दवाई आदि दिलवाई गईं।
मेरे पास डॉक्टर नहींं, मैं केवल रैफर कर सकता हूं


हड़ताल से सबसे अधिक परेशानी सगे-संबंधियों का पोस्टमार्टम कराने वालों को आई। उनके लाख विनती करने के बावजूद रविवार को अस्पताल में किसी भी मृतक का पोस्टमार्टम नहीं हो सका। पोस्टमार्टम को लेकर प्रमुख चिकित्सा अधिकारी ने भी हाथ खड़े कर दिए। जब कांग्रेस कार्यकर्ता मोर्चरी में रखे एक वृद्धा के शव के पोस्टमार्टम को लेकर पहुंचे, उन्होंने कहा कि मेरे पास डॉक्टर नहीं हैं। मैं कैसे पोस्टमार्टम कराऊं । मैं अकेला बैठा हूं। मैं सिर्फ मृतक को रैफर कर सकता हूं।

पहले कहा-बहरोड़ ले जाओ, फिर बोले डॉक्टर आ रहे हैं, लेकिन नहीं आए:

चिकित्सालय की मोर्चरी में रखे ककराली निवासी एक वृद्धा के शव का काफी ऊहापोह के बावजूद पोस्टमार्टम नहीं हो सका। पहले प्रमुख चिकित्सा अधिकारी उसके परिजनों से शव को बहरोड़ ले जाने की कहते रहे। परिजनों ने बहरोड़ से चिकित्सकों को अलवर बुलाने की कहा। इस पर पीएमओ ने उन्हें बताया कि बहरोड़ से पोस्टमार्टम के लिए चिकित्सक आ रहे हैं, लेकिन देर शाम तक कोई चिकित्सक नहीं पहुंचा।
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