अलवर उपचुनाव: यह क्षेत्र कहलाता है हिंदूत्व की प्रयोगशाला, जानें इस बार किसका है जोर
अलवर लोकसभा उपचुनाव में रामगढ़ विधानसभा सीट का काफी महत्च है, इस क्षेत्र को हिंदूत्व की प्रयोगशाला भी कहा जाता है।

अगर पूरे राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के लिए कोई एक क्षेत्र हिंदुत्व की प्रयोगशाला के रूप में रहा है तो वह है रामगढ़। जिले के रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी के संघ से जुड़े नेता ज्ञानदेव आहूजा का दबदबा रहा है। कांग्रेस में यहां मेवात के दिग्गज नेता जुबेर खान का भी उतना ही प्रभाव है। दो चुनाव पहले तक यहां एक बार आहूजा तो एक बार जुबेर का सिक्का चलता था। पिछले दो बार से यहां विधानसभा में आहूजा जीत कर आए। 2.40 लाख मतदाताओं के इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा मुस्लिम वोट हैं। जबकि इसके बाद अनुसूचित जाति के वोटर सर्वाधिक हैं। रामगढ़ में इस चुनाव में मुद्दों की बात हो रही है। स्थानीय लोग राज्य सरकार के कामकाज पर चर्चा कर रहे हैं। लोकसभा उपचुनाव है। अधिकांश लोगों का मानना है कि यह वोट एक संदेश देने के लिए देंगे।
केंद्र और राज्य सरकार से निराशा भी सामने आ रही है। क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही प्रत्याशियों की व्यक्तिगत पकड़ है। जुबेरखान यदि जिले में सबसे ज्यादा समय कहीं दे रहे हैं तो वह यह क्षेत्र है। ज्ञानदेव आहूजा भी दिनरात गांव-ढाणियों में घूम रहे हैं। सत्ता विरोध लहर का असर यहां नजर आ रहा है। युवाओं से बात करने पर वे रोजगार के मुद्दे पर चिंता जाहिर करते हैं। क्षेत्र में गो-तस्करी और अनुसूचित जाति से जुड़े कुछ हालिया मुद्दों को लेकर भी विरोध है। अगर यह विरोध वोट में बदला तो अकेला रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र जिले का बड़ा उलटफेर दिखा सकता है।
पिछला गणित भाजपा के पक्ष में, इस बार किसका पलड़ा भारी
रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में पिछले चुनावों का गणित भाजपा के पक्ष में रहा था। 2013 के विधानसभा चुनावों में यहां ज्ञानदेव आहूजा ने 4600 वोटों से जीत हासिल की थी। वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की बढ़त 30000 वोटों की थी। जबकि 2009 के लोकसभा चुनावों में यहां से कांग्रेस ने 31000 वोटों से बढ़त ली थी। भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि अपने वोटर को बूथ तक लाएं। आम चुनाव के और विधानसभा चुनाव के समय जो उत्साह होता है वह नहीं होने के कारण वोटर को बूथ तक लाने के लिए जोर लगाना पड़ेगा। कांग्रेस को अपने वोटर को लुभाने के लिए भरसक प्रयास करना पड़ रहा है।
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