टैगिंग की यह व्यवस्था उपभोक्ता से लेकर ट्रंासफार्मर तक की होगी। टैगिंग सिस्टम में उपभोक्ता का नाम, उसका घर, फीडर, ट्रांसफार्मर आदि की जानकारी होगी। साथ ही उपभोक्ता कितनी बिजली का उपयोग कर रहा है और उसका बिजली का बिल कितना आ रहा है। यदि बिजली का बिल या बिजली उपयोग की यूनिट में अंतर आता है तो तुरंत ही पता चल जाएगा। इसके लिए ट्रांसफार्मर पर एनर्जी ऑडिटिंग मॉडम लगाए जाएंगे। साथ ही ट्रांसफार्मर के लोड की जानकारी भी रहेगी।
जानकारी जुटाई जा रही है एईएन कार्यालय क्षेत्र में कितने जीएसएस हैं। हर जीएसएस पर कितने फीडर हैं। फीडर पर कितने ट्रांसफार्मर लगे हुए हैं। हर ट्रंासफार्मर से कितने उपभोक्ताओं की बिजली की सप्लाई की जा रही है। यह सारा डेटा ऑनलाइन कर निगम कंट्रोल रूम को भेजा जाएगा। अभी तक फीडर तक की ही बिजली चोरी ट्रेस की जाती है। अब एक फीडर के अंदर आने वाले ट्रंासफार्मर पर डिवाइस लगाकर उपभोक्ता को पहुंचने वाली बिजली की खपत व बिजली के बिल की राशि की गणना की जाएगी।
फैक्ट फाइल जिले में बिजली उपभोक्ताओं की संख्या 6 लाख 76 हजार जिले में ट्रांसफार्मर की संख्या —
1 लाख 52 हजार जिले में जीएसएस की संख्या 300 एईएन कार्यालय जिले में 35
1 लाख 52 हजार जिले में जीएसएस की संख्या 300 एईएन कार्यालय जिले में 35
एईएन कार्यालय शहर में 7 मार्च तक पूरा होगा काम उपभोक्ताओं की टैगिंग का काम मार्च के अंत तक पूरा करना है। टेक्निकल स्टाफ के साथ अतिरिक्त स्टाफ लगाकर काम शुरू करवाया गया है। इससे ट्रांसफार्मर पर ओवरलोडिंग की असुविधा, बिजली चोरी की घटनाएं रोकने व छीजत कम करने के लिए यह प्रयास किए जा रहे हैं।
-बीएस मीना, एसई, जयपुर विद्युत वितरण निगम, अलवर।
-बीएस मीना, एसई, जयपुर विद्युत वितरण निगम, अलवर।