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अलवर

सरिस्का में कैमरे बन रहे बाघ का पता लगाने के सारथी

अलवर. सरिस्का में बाघ सुरक्षित है या नहीं, यह पगमार्क देखकर नहीं, बल्कि यहां लगे कैमरों में कैद उनकी फोटो से पता लगाया जा रहा है। मानूसन के दौरान टाइगर के पगमार्क ढूंढना मुश्किल होने पर कैमरे सरिस्का प्रशासन के सारथी बन रहे हैं।

अलवरSep 03, 2018 / 12:21 am

Prem Pathak

Finding a tiger to become a camera in Sariska

सरिस्का में कैमरे बन रहे बाघ का पता लगाने के सारथी

मानसून के दौरान सरिस्का में घास बड़ी होने एवं हरियाली छाने से टाइगर एवं अन्य वन्यजीवों की लोकेशन ट्रैस करने में मुश्किलें आ रही हैं। घास में बाघ व अन्य वन्यजीवों के पगमार्क मिलने की संभावना नगण्य रहती है। एेसे में बाघ सुरक्षित है या नहीं, यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है। इसी समस्या से बचने के लिए इस साल सरिस्का प्रशासन ने जंगल में बाघों की टैरिटरी में 100 से ज्यादा कैमरे लगाए हैं। एक बाघ की टैरिटरी में 10 से 12 कैमरे लगाए गए हैं। इसका लाभ यह हुआ कि इन कैमरों में बाघों की फोटो कैद हो जाती है, जिसे देखकर सरिस्का प्रशासन बाघ की सलामती का अंदाजा लगाता है। मानसून के दौरान सरिस्का में बाघों की मॉनिटरिंग की यही व्यवस्था कारगर हो रही है।
आधे से ज्यादा बाघों के नहीं रेडियो कॉलर

सरिस्का में जिन बाघ-बाघिनों के रेडियो कॉलर लगे हैं, उनकी लोकेशन सिग्नल से करना आसान है, लेकिन जिन टाइगर के रेडियो कॉलर नहीं हैं, उनकी लोकेशन का पता लगाना आसान नहीं होता। कारण है कि बारिश से जंगल में घास बड़ी होने से पगमार्क ढूंढ पाना संभव नहीं होता। वहीं भैंस व अन्य जानवरों की आवाजाही से टाइगर व भैंसों के पगमार्क में अंतर कर पाना भी आसान नहीं होता। सरिस्का में एक बाघिन को छोड़ शेष के रेडियो कॉलर नहीं है, वहीं कुछ बाघों के भी रेडियो कॉलर नहीं है। इस कारण कैमरे ही इन बाघ-बाघिनों के सुरक्षित होने की जानकारी देने का एकमात्र उपाय है।
शावकों को भी कैमरे से कर रहे ट्रैस

सरिस्का में मौजूद दो शावकों को भी कैमरों में देखकर ही ट्रैस किया जा रहा है। शावक अभी छोटे होने के कारण बाघिन के साथ हैं। वहीं बाघिन की टैरिटरी भी काफी छोटी होने के कारण उनका पता लगाना आसान नहीं है। एेसे में बाघिन की टैरिटरी में लगे कैमरों में शावकों की फोटो देख उनकी सलामती का अनुमान लगाया जा रहा है।
बारिश के दौरान पगमार्क मिलना मुश्किल

बारिश के दौरान जंगल में टाइगर के पगमार्क ढूढना आसान नहीं होता। इस कारण सरिस्का में कैमरे लगाए गए हैं। इन कैमरों में बाघों की फोटो देखकर उनके सुरक्षित होने का अनुमान लगाया जाता है।
हेमंत सिंह

डीएफओ सरिस्का बाघ परियोजना

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