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सरिस्का में लगी आग से थर्राया अलवर

locationअलवरPublished: Mar 30, 2022 07:15:36 am

Submitted by:

Prem Pathak

सरिस्का बाघ परियोजना के अकबरपुर रेंज के बालेटा- पृथ्वीपुरा नाका के कटीघाटी क्षेत्र में रविवार शाम को लगी आग मंगलवार को तीसरे दिन भी पूरी तरह बुझ नहीं पाई है।

सरिस्का में लगी आग से थर्राया अलवर

सरिस्का में लगी आग से थर्राया अलवर


अलवर. सरिस्का बाघ परियोजना के अकबरपुर रेंज के बालेटा- पृथ्वीपुरा नाका के कटीघाटी क्षेत्र में रविवार शाम को लगी आग मंगलवार को तीसरे दिन भी पूरी तरह बुझ नहीं पाई है। सरिस्का में तीन दिन से लगी आग के लगातार आगे बढ़ने से सरिस्का के आसपास बसे ग्रामीण ही नहीं, बल्कि अलवर जिला थर्रा गया है। हर किसी की जुबां पर सरिस्का की आग की बात और जेहन में आग से होने वाले पयर्टन के नुकसान की चिंता है। जिले के लोगों की चिंता इस मायने में सही भी है, कारण है कि सरिस्का बाघ परियोजना अलवर जिले का सबसे बड़ा पर्यटन स्थल है। यहां प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में देशी विदेशी पर्यटक बाघों को देखने के लिए आते हैं। आग के बढ़ने से बाघों को नुकसान पहुंच सकता है तथा जंगल खत्म होने से बाघों के आवास व विचरण की समस्या हो सकती है।
सरिस्का का जंगल अन्य टाइगर रिजर्व से आकर्षक

सरिस्का बाघ परियोजना का जंगल प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व से अलग है। यहां की भौगोलिक िस्थति एवं हरियाली आकर्षक है, जो कि पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। वर्ष 2005 में सरिस्का के बाघ विहिन होने पर पर्यटक यहां के जंगल की खूबसूरती निहारने के लिए आते थे। यहां बाघों के पुनर्वास होने के बाद पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ी। आग के फैलने से सरिस्का के जंगल को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है। जंगल नष्ट होने पर जिले के पर्यटन पर विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका है।
सरिस्का को एक नजर में जानिए

सरिस्का का क्षेत्रफल-1216 वर्ग किलोमीटर

सरिस्का में टाइगर -27बाघ- 09

बाघिन- 11शावक- 7

पैंथर- 200 से ज्यादाजरख- 300 से ज्यादा

सांभर, चीतल, सुअर, नीलगाय- 10 हजार से ज्यादाजमीन पर रेंगने वाले जीव- हजारों की संख्या में
आग फैलने से सरिस्का को बड़ा खतरा

सरिस्का में पिछले तीन दिनों से लगी आग के बेकाबू होने से तीन बड़े खतरे हैं। इनमें पहला जैव विविधता का बड़़ा खतरा है। आग से सरिस्का में बड़े भू भाग पर वनस्पति, घास, पेड़, पौधों के जलने से नुकसान हो सकता है।वहीं दूसरा बड़ा नुकसान हैबीटाट प्राकृतिक वास का होने की आशंका है। वन्यजीवों के प्राकृतिक वास खत्म होने से बाघ- बाघिनों की प्रजनन दर पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। आम तौर पर एक बाघ को 20 से 30 किलोमीटर तथा बाघिन को 15 से 20 किलोमीटर क्षेत्र विचरण के लिए जरूरी होता है।
सरिस्का में आग लगने का तीसरा बड़ा नुकसान वनस्पति का हो सकता है। आग से बड़े भू भाग पर वनस्पति जलकर राख हो सकती है। जिसके दोबारा विकसित होने में कई साल का समय लग सकता है।

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