सागर में आए दिन मछलियों की मौत के बाद भी ना तो संबंधित विभागों ने यहां आकर यह जानने की कोशिश की है कि आखिर ये मछलियां क्यों मर रही हैं और ना ही जिला कलक्टर ने ही कभी इस समस्या को गंभीरता से लिया है। प्रकृति व पर्यावरण के लिए काम कर रही सामाजिक संगठन व संस्थाएं भी इनकी सुध नहीं ले रहे हैं।
गौरतलब है कि सागर ऐतिहासिक स्थल तो है ही सबसे सुंदर पर्यटक स्थलों में भी शामिल है, इसलिए दिन भर यहां पर्यटकों की गहमा गहमी रहती है। सागर में छोटे बड़े आकार की हजारों मछलियां है। ये मरी हुई मछलियां अब पानी के उऊपर तैर रही है और कुछ सागर के किनारों पर ही पड़ी हुई है। ऐसे में यहां पर हर तरफ बदबू फैली हुई है। स्थानीय दिनेश सारस्वत ने बताया कि सागर में गंदगी होने की वजह से मछलियों को शुद्ध आक्सीजन नहीं मिल पा रही है। इसकी वजह से ये मछलियां मर रही हैं। इनका कहना था कि सागर में प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग आटे की गोलियां मछलियों को डालते हैं। जो कि गंदे पानी में जाकर जहरीला हो जाता है। इनको खाने से ये मछलियां मर रही हैं।
मछलियों को रहने के लिए साफ पानी की जरुरत होती है। गौरतलब है कि कुछ ही दिनों पहले 8 सितंबर को राजस्थान पत्रिका ने सागर में तैर रही शराब की बोतलों को खबर के साथ प्रकाशित कर प्रशासन को आगाह कराया था कि पानी में रह रहे जीव किस तरह परेशान हैं।