सरिस्का प्रशासन ने माना भालू गायब सरिस्का सूत्रों का कहना है कि अगस्त 2016 में टहला क्षेत्र में भालू को देखा गया व पगमार्ग मिले थे। उसके बाद से वनकर्मियों को भालू के पगमार्ग नहीं मिले औन न ही उसकी वह दिख पाया। भालू को रेडियो कॉलर भी नहीं लगा था। वहीं भालू की मैनुअल मॉनिटरिंग भी नहीं हो पाने से सरिस्का अब भालू विहिन घोषित होने के कगार पर पहुंच गया है।
भालू को नहीं ढूंढ सके तो बाघों की सुरक्षा कितनी सरिस्का की सुरक्षा के दावों की पोल तब खुलती नजर आती है, जब एक भालू का पता तक नहीं लगाया जा सकता। एेसे में बाघों की सुरक्षा कितनी कारगर होगी, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। यह स्थिति तो तब है जब सरिस्का के १४ बाघों में से ज्यादातर की रेडियो कॉलर खराब हैं, कुछ बाघों के रेडियो कॉलर ही नहीं लगे। रेडियो कॉलर के नाम पर सरकार के लाखों रुपये तो खर्च हुए, लेकिन समस्या जस की तस है। खास बात यह है कि रेडियो कॉलर को ठीक कराने या बदलने के लिए प्रयास भी कछुआ चाल ही रहे। इसके अलावा सरिस्का में सीसीटीवी कैमरों की हालत भी भालू की जानकारी नहीं लग पाने से पता चलती है।
भेडि़या का भी पता नहीं सरिस्का वन क्षेत्र में पूर्व में बड़ी संख्या में भेडि़या थे, लेकिन इन दिनों इनके दर्शन दुलर्भ हैं। वर्ष 2016 की वन्य जीव गणना में एक भी भेडि़या नजर नहीं आया। सरिस्का में कुछ दिन पहले एक क्लोज सर्किट कैमरे में भेडि़या की एक फोटो कैद जरूर हुई, लेकिन उसकी भी लोकेशन का पता नहीं। एेसे में सरिस्का में आए दिन वन्यजीवों के शिकार की शिकायतें मिलती रहती हैं।
शिकारियों की धरपकड़ को दिखावे की कार्रवाई सरिस्का प्रशासन ने सोमवार को दिन में शिकारियों की खोज के लिए पूरे लवाजमें के साथ कार्रवाई की। लेकिन यह कार्रवाई भी महज दिखावा ही रही। खोजबीन के नाम पर दिखावा तो खूब हुआ, लेकिन कार्रवाई के नाम पर मिला कुछ नहीं। यह हाल तो तब है जब सरिस्का के आला अधिकारी भी इस कार्रवाई में शामिल थे। यह कार्रवाई सुबह शुरू होकर कई घंटों तक चली।