अलवर से भरतपुर स्टेट हाईवे नम्बर 14 टोल रोड पर निजी वाहनों के अलावा अन्य सभी वाणिज्यिक (कॉमर्शियल) वाहनों से चार जगहों पर टोल शुल्क की वसूली होने के बावजूद 150 से अधिक जगहों पर सडक़ टूटी पड़ी है। कुछ जगह पर तो पूरी रोड उधड़ चुकी है। इसके बावजूद टोल शुल्क की वसूली बराबर हो रही है लेकिन, सडक़ को दुरुस्त कराने पर ध्यान नहीं है। जबकि इसी साल में टोल शुल्क भी बढ़ाया गया है। बगड़ तिराहे से भरतपुर के बीच में चार टोल प्लाजा हैं। सब पर अलग-अलग शुल्क लगता है।
कहां-कहां से टूटी पड़ी रोड
बगड़ का तिराहा के आगे से ही सडक़ जगह-जगह टूटी मिल जाएगी। बड़ौदामेव से मानोता तक पूरी रोड उधड़ी पड़ी है। फिर सहजपुर व खकावली तक जगह-जगह सडक़ में गड्ढे हो चुके हैं। हालात ये हैं कि चौपहिया वाहन गड्ढ़ों को बचाते हुए निकलते हैं तो दुपहिया वाहनों को जगह नहीं मिलती। मजबूरी में वाहन को सडक़ के नीचे ले जाना पड़ता है।
बगड़ का तिराहा के आगे से ही सडक़ जगह-जगह टूटी मिल जाएगी। बड़ौदामेव से मानोता तक पूरी रोड उधड़ी पड़ी है। फिर सहजपुर व खकावली तक जगह-जगह सडक़ में गड्ढे हो चुके हैं। हालात ये हैं कि चौपहिया वाहन गड्ढ़ों को बचाते हुए निकलते हैं तो दुपहिया वाहनों को जगह नहीं मिलती। मजबूरी में वाहन को सडक़ के नीचे ले जाना पड़ता है।
एंबुलेंस में मरीज परेशान
टोल रोड होने के बावजूद एंबुलेंस तक आसानी से नहीं निकल रही है। गड्ढ़ों के कारण मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने में समय लगता है। टैम्पो से 160 रुपए, बड़े ट्रक के 1280
टोल शुल्क भी कम नहीं है। टैम्पो के एक टोल पर आने-जाने का 40 रुपए शुल्क है। चारों टोल से निकलना होता है तो 160 रुपए लगते हैं। इसी तरह पिकअप के चार टोल से आने-जाने पर 560 रुपए शुल्क वसूला जाता है। छह पहिया वाले ट्रक व बड़े वाहनों को 840 रुपए तो इससे अधिक पहिया वाले वाहनों को 1280 रुपए टोल चुकाना पड़ रहा है। इसके बावजूद वाहनों को सलामत सडक़ नहीं मिल रही है। एक तरह से दोहरी मार पड़ रही है।
टोल रोड होने के बावजूद एंबुलेंस तक आसानी से नहीं निकल रही है। गड्ढ़ों के कारण मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने में समय लगता है। टैम्पो से 160 रुपए, बड़े ट्रक के 1280
टोल शुल्क भी कम नहीं है। टैम्पो के एक टोल पर आने-जाने का 40 रुपए शुल्क है। चारों टोल से निकलना होता है तो 160 रुपए लगते हैं। इसी तरह पिकअप के चार टोल से आने-जाने पर 560 रुपए शुल्क वसूला जाता है। छह पहिया वाले ट्रक व बड़े वाहनों को 840 रुपए तो इससे अधिक पहिया वाले वाहनों को 1280 रुपए टोल चुकाना पड़ रहा है। इसके बावजूद वाहनों को सलामत सडक़ नहीं मिल रही है। एक तरह से दोहरी मार पड़ रही है।
टेण्डर होने में विलम्ब
अभी आचार संहिता है। सडक़ मरम्मत कराने का टेण्डर नहीं हो पाया है। अब जल्दी टेण्डर करने के बाद सडक़ को दुरुस्त कराया जाएगा। महेश चन्द शर्मा, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, आरएसआरडीसी
अभी आचार संहिता है। सडक़ मरम्मत कराने का टेण्डर नहीं हो पाया है। अब जल्दी टेण्डर करने के बाद सडक़ को दुरुस्त कराया जाएगा। महेश चन्द शर्मा, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, आरएसआरडीसी