यहां के एप गुरू इमरान ने जिले का नाम रोशन किया है। मत्स्य विश्वविद्यालय ने किया निराश- राजर्षि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से इसका विवादों से नाता रहा है। यहां कभी भर्ती में अनियमिताएं तो कभी पेपर लीक होने के कारण यह सुर्खियों में रही है। राजर्षि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय का भवन मालाखेड़ा के समीप हल्दीना में बना रहा है।
२०१५ से विधिवत शुरू हुए इस विश्वविद्यालय अभी तक राजकीय कला महाविद्यालय के छात्रावास में चल रहा है। यहां भवन बनाने के लिए सरकार ने अभी तक १५ करोड़ रुपए ही प्रदान किए हैं जबकि यहां भवन बनाने के लिए करीब ६०० करोड़ की आवश्यकता है। विश्वविद्यालय को लेकर जो सपनें युवाओं ने देखे थे जिससे निराश होकर यहां के युवा अन्य जिलों में प्रवेश ले रहे हैं।
हल्दीना में प्रशासनिक भवन के तीन या चार हॉल तो शीघ्र बन जाएंगे लेकिन यही हाल रहा तो यहां विश्वविद्यालय वर्षों बाद भी संचालित नहीं हो पाएगा। इस विश्वविद्यालय को पर्याप्त बजट मिलने की संभावना धूमिल हो गई है। यह है वास्तविकता- हल्दीना में विश्वविद्यालय का प्रशासनिक भवन तथा शैक्षणिक भवन बन रहा है। इस परिसर में अभी लेवलिंग का कार्य भी नहीं हुआ है।
यहां के मुख्य गेट ही उखड़ा पड़ा है। स्थानीय जागरूक ग्रामीण शिवराम चौधरी का कहना है कि इस परिसर में पौधरोपण किया जाना चाहिए था लेकिन वह नहीं हुआ है तथा सडक़ मार्ग हल्दीना से बड़ा गांव में चला जर्जर क्षतिग्रस्त है जो विश्वविद्यालय के दूसरे गेट का मुख्य सडक़ मार्ग वहीं हल्दीना से मालाखेड़ा के सडक़ जर्जर क्षतिग्रस्त है।
प्राथमिक शिक्षा का स्तर सुधरे- अलवर जिले में माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों के भौतिक संसाधनों का विकास हुआ है लेकिन प्राथमिक क्षेत्र में अभी भी काम की गुंजाइश है। यहां के राजकीय सीनियर माध्यमिक बालिका विद्यालय अकबरपुर, रेलवे स्टेशन, तालाब, भंडवाडी कला, इन्द्रगढ़ सहित करीब २० स्कूलों में बेहतरीन कार्य हुआ है।
इसी प्रकार जिले के ३२ प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में भवन तक नहीं है। जिले के ३५० सरकारी महाविद्यालयों में पानी के इंतजाम पर्याप्त नहीं है, इसी प्रकार ११० स्कूलों में बिजली नहीं है।
यह कहते हैं नामी शिक्षाविद् और विशेषज्ञ- अलवर जिले में सरकारी विद्यालयों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए उन समस्याआें को पहचानने की जरूरत है जिनके कारण हमारे इन विद्यालयों के हालात सही नहीं है। अलवर जिले में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों के प्रति अभिभावकों का क्रेज कायम है। अलवर जिले के सरकारी विद्यालयो में हुए नवाचार के कारण यहां का शिक्षा के क्षेत्र में सम्मान से लिया जाता है। अब सरकार को अलवर को फोकस करना चाहिए जिससे यहां के स्कूल देश में अपनी पहचान बना सके।- इमरान खान, एप गुरू, भामाशाह व राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक।
पिछले एक दशक में अलवर के सरकारी स्कूलों में बदलाव आया है। नामांकन के साथ ठहराव भी बढ़ा है। अब सरकारी स्कूलों के प्रति सकारात्मक माहौल बना है। अलवर के रेलवे स्टेशन, शिवाजी पार्क, मालाखेड़ा गेट, केसरपुर, इन्द्रगढ़ व तालाब स्कूल की पहचान तो पूरे प्रदेश में बनी है।
-राजेश लवानिया, सरकारी स्कूलों के भौतिक संसाधनों के क्षेत्र में नवाचार करने वाले इंजीनियर। जब सरकारी स्कूल के साथ समुदाय जुड़ता है तो स्कूल विकसित होता है जिसमें शिक्षकों का मनोबल बढ़ाना भी आवश्यक है। सरकारी स्कूलों में काम अच्छा किया है तो विश्वविद्यालय ने गरिमा गिराई है। अब तो सरकार को आगे आना होगा।
-नूरमोहम्मद, शिक्षाविद्, २५ सालों से शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे।