प्रदेश में संख्या के आधार पर सबसे अधिक वैकंसी शिक्षा विभाग में शिक्षकों की वैकंसी हैं। शिक्षक बनने की चाह में प्रदेश में 13 लाख से अधिक युवा इसकी तैयारियों में व्यस्त हैं। प्रदेश में सरकार के बदलने पर शिक्षक भर्ती के नियम भी बदलने की आशंका है जिसके चलते दिन-रात मेहनत करने वाले युवाओं में निराशा है।
इस तरह बदले नियम इससे पूर्व
अशोक गहलोत के बनी सरकार के समय रीट विवादों आ गई। इस भर्ती को लेकर युवाओं में भारी असंतोष था जिसमें फेरबदल करने की मांग की गई। पिछली बार चुनाव के समय भाजपा ने इस परीक्षा को समाप्त करने का आश्वासन दिया। नई सरकार के आने पर रीट को समाप्त करना मुश्किल हो गया। ऐसे में नियम बदले गए और शिक्षक भर्ती के लिए एक परीक्षा बनाई गई जिसका नाम भी बदल दिया गया। शिक्षक भर्ती के नए नियमों में स्नातक कक्षा के अंकों का वैटेज 30 प्रतिशत किया गया। यही नहीं पूर्व में सामान्य ज्ञान का आने वाले विषय में राजस्थान के प्रश्न अधिक आते थे जिनमें कमी से बाहर के राज्य के विद्यार्थियों को यहां नौकरी पाने में आसानी हो गई। बाहर के अभ्यर्थियों को वर्तमान में 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है।
पात्रता और विषय को लेकर चुनौती वर्तमान में प्रदेश में शिक्षक भर्ती के लिए निकली 54 हजार वैकंसी न्यायालय में अटकी हुई है जिसमें पात्रता और विषय को लेकर चुनौती दी गई है। इस बारे में बेरोजगार एकीकृत महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष उपेन यादव का कहना है कि सरकार को शिक्षक भर्ती को लेकर अपनी नीति स्पष्ट करनी चाहिए। वर्तमान में सरकार को शिक्षक भर्ती के लिए अपने नियमों में फेरबदल करना चाहिए।