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विदेशी महिलाओं में श्रीकृष्ण की भक्ति, कृष्ण की भक्ति में झूमी, गोविंदगयी हुई नगरी

locationअलवरPublished: Feb 14, 2020 05:44:46 pm

Submitted by:

Lubhavan

गोविंद देव जी के हजारों भक्तों ने भजन गाते हुए नगर का भ्रमण किया। इस दौरान अघोरी नृत्य को भी खूब सराहना मिली।

Govind Dev Ji Shobha Yatra In Alwar

विदेशी महिलाओं में श्रीकृष्ण की भक्ति, कृष्ण की भक्ति में झूमी, गोविंदगयी हुई नगरी

अलवर. धर्म नगरी अलवर आज उस वक्त गोविन्दमयी हो गईजब भगवान श्री गोविन्द देव जी हजारों भक्तों के साथ नगर भ्रमण पर निकले। मुजफ्फर नगर से आए विशेष रथ में भगवान विराजित हुए। बजाजा बाजार स्थित ‘सेठ-सेठानी के रूप में विख्यात गोविन्द देव मंदिर से प्रात:11 बजे अनूठी शोभायात्रा शुरू हुई । शोभायात्रा को अतिथि बतौर नगर परिषद सभाापति बीना गुप्ता, सेठ गुरदयाल गुप्ता (दिल्ली), श्रीराम पी. गुप्ता, उद्योगपति विजय डाटा, वयोवृद्ध समाजसेवी बद्रीप्रसाद दोषी, त्रिजोगीनारायण गुप्ता आदि ने हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। शोभायात्रा में महिलाओं की मंगल कलश यात्रा विशेष आकर्षण का केन्द्र रही । जिसमें 251 से अधिक महिलाएं शामिल थी।
हुआ अखंड पाठ : 14 फरवरी को प्रात:8 बजे से श्री रामायण जी के अखण्डपाठ शुरू हुए। 15 फरवरी को विशाल हवन होगा। गोविन्ददेवजी महोत्सव में शामिल होने के लिए अलवर जिले के अलावा दिल्ली, जयपुर, रेवाड़ी, गुडगांवा आदि से भी श्रद्धालु अलवर पहुंचे । मंदिर मे भव्य सजावट की गई है।
108 दीपकों से हुई महाआरती

शोभायात्रा के सम्पूर्ण मार्ग में जगह-जगह स्वागत द्वार लगे हुए थे वहीं अनेक जगह भक्तों ने पुष्प वर्षा कर अगुवानी की। शोभायात्रा होपसर्कस, घंटाघर, पंसारी बाजार, तांगा स्टैण्ड, वीर चौक, बस स्टैण्ड, विवेकानन्द चौक, त्रिपोलिया होते हुए बजाजा बाजार स्थित मंदिर वापिस पहुंची। प्रात:मंदिरजी में गणेश जी का पूजन-वंदन हुआ।
अघोरी नृत्य को खूब मिली सराहना

भोलेनाथ शिवजी महाराज की सजीव झांकी व उनके ‘गणोंÓ द्वारा प्रस्तुत तांडव व अघोरी नृत्य भी खूब सराहा गया। इसके अलावा शोभायात्रा में सजी धजी सात घोड़े, श्रीराम दरबार, माखन चुराते कान्हा, राधा-कृष्ण की झांकियां, श्रीकृष्ण-सुदामा, शरसैया पर विराजित श्री विष्णु भगवान व लक्ष्मी मां, बाल रूप में कृष्ण-राधा, ताशा पार्टी, बैण्डबाजे, मथुरा वृंदावन से हनुमान प्राणदास की नेतृत्व में आई 12 सदस्यीय ‘इस्कानÓ की भजन मंडली भी शामिल थी, वहीं सबसे आखिरी में श्री गोविन्देवजी राधा संग फूलों से सजे-धजे विशेष रथ में विराजमान थे।
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