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अलवर में बजरी पर प्रतिबंध लगने के बाद पुलिस की हो गई मौज, हर थाने पर पहुंच रहे हैं पैसे

locationअलवरPublished: Jun 19, 2018 08:33:55 am

Submitted by:

Prem Pathak

अलवर में बजरी माफिया पनप रहा है। बजरी माफियाओं के रास्ते में जितने भी पुलिस थाने पड़ते हैं, वहां बंधी का खेल चल रहा है।

Gravel mafia collusion with alwar police

अलवर में बजरी पर प्रतिबंध लगने के बाद पुलिस की हो गई मौज, हर थाने पर पहुंच रहे हैं पैसे

अलवर. खनिज अभियंता के बंधी लेने का मामला अभी थमा नहीं और पुलिस के बजरी माफियाओं से बंधी लेने का नया खुलासा हो गया। खुद पुलिस के सामने ही बजरी माफियाओं ने स्वीकारा कि वे मार्ग में पडऩे वाले सभी थानों को बंधी देते हैं। बंधी भी थोड़ी बहुत नहीं।
सच्चाई ये है कि कई बार तो यह बंधी बजरी की वास्तविक कीमत से ज्यादा पड़ती है। इससे बजरी की कीमत बढ़ जाती है। अलवर की बात करें तो जिले में बजरी निकासी की एक भी वैद्य खान नहीं है। इसके बावजूद रोजाना हजारों टन बजरी अलवर शहर सहित जिले के दूसरे हिस्सों में पहुंच रही है। बजरी का आना भी मिलीभगत की चुगली करता है। जानकारों की मानें तो बजरी पर रोक के बाद बजरी माफियाओं व पुलिस की निकल पड़ी है। अलवर में बनास के साथ-साथ लोकल बजरी भी बड़े पैमाने पर निकाली जा रही है, जो पुलिस के संरक्षण में एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंच रही है।
पनपा बजरी माफिया

जिले में एकबार फिर से बजरी माफिया पनपने लगा है। जो रोक के बावजूद नदी-नालों से अवैध बजरी निकासी में लगा हुआ है। यह बजरी कच्चे-पक्के रास्तों से होकर रोजाना शहर सहित जिले के अन्य हिस्सों में पहुंच रही है। अब तो बजरी माफियाओं का दुस्साहस इतना बढ़ गया है कि वे दिनदहाड़े बजरी परिवहन में जुट गए हैं। बजरी के खेल की खास बात ये भी है कि अलवर जिले में बजरी निकासी की एक भी वैद्य खान नहीं है। इसके बावजूद मालाखेड़ा, एमआईए, रामगढ़, नटनी का बारा, अकबरपुर स्थित काली खोल आदि क्षेत्र से रोजाना हजारों टन बजरी अलवर शहर सहित जिले के दूसरे हिस्सों में पहुंच रही है।
कीमत से ज्यादा नजराना

जिले में पनप रहे बजरी के इस खेल में बजरी की वास्तविक कीमत से ज्यादा मार्ग में दिए जाने वाला ‘नजराना’ है। इस धंधे से जुड़े लोगों के अनुसार खान से बजरी का एक ट्रैक्टर 3 से 4 हजार रुपए का निकलता है, जो मार्ग में जगह-जगह नजराना देते-देते अलवर पहुंचते-पहुंचते 8 से 10 हजार रुपए का हो जाता है। इसका खमियाजा आमजन को भुगतना पड़ता है। उन्हें बजरी के औने-पौने दाम चुकाने पड़ते हैं।
आगे-आगे चलती है एस्कॉर्ट

बजरी माफियाओं का नेटवर्क कई जगह पर पुलिस के नेटवर्क से भी ज्यादा मजबूत है। अवैध बजरी निकासी के बाद पुलिस की नजरों से बचने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के आगे-आगे इनकी खुद की एस्कॉर्ट चलती है। जो रास्ते में पुलिस अथवा अन्य किसी दल के मिलने पर इसकी सूचना ट्रैक्टर चालक को देती हैं। इसके बाद ट्रैक्टर चालक या तो कच्चे-पक्के रास्तों पर उतर मार्ग बदल लेते हैं अथवा पुलिस के पहुंचने से पहले ही बजरी को फैला भाग निकलते हैं।
शहर में जगह-जगह लगे बजरी के ढेर

रोक के बावजूद जिले में बजरी परिवहन का खेल शहर में जगह-जगह लगे बजरी के ढेरों से आसानी से समझ में आ जाएगा। शहर में दशहरा मैदान व प्रताप ऑडिटोरियम के पास बजरी की बड़ी मंडियां बनी हुई हैं। यहां हजारों टन बजरी बिकने के लिए पड़ी है। इसके अलावा ज्योतिबा फुले सर्किल के पास नयाबास रोड, एनईबी थाना क्षेत्र के कई हिस्सों में बजरी का बेचान होता है।
आमजन न स्वयं अवैध काम करें और न अवैध काम को चलाने के लिए किसी को पैसा दें। पुलिस के पैसे वसूलने का यदि किसी के पास स्पष्ट प्रमाण है तो वह सीधे पुलिस अधीक्षक कार्यालय में शिकायत कर सकता है।
राहुल प्रकाश, जिला पुलिस अधीक्षक अलवर।
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