हर ओर पर्यावरण के प्रति चिंता तो खूब जताई जा रही है, लेकिन खुद सरकारी कार्यालय ही विकास के नाम पर पर्यावरण संतुलन को धता बताने में पीछे नहीं है। इसकी बानगी पिछले दिनों शहर में नीलाम हुई सिंचाई भवन की जमीन पर देखी जा सकती है। यहां दशकों पुराने व नए करीब 52 हरे पेड़ हैं। इनमें बरगद, पीपल, नीम जैसे कई बड़े पेड़ भी शामिल है। यूआईटी की ओर से व्यावसायिक उपयोग के लिए सिंचाई भवन की जमीन को नीलाम करने के बाद यहां मॉल और व्यावसायिक भवनों का निर्माण होना तय है। यह यहां खड़े पेड़ों की कटाई बिना संभव नहीं है।
पुराना औषधालय परिसर में कई पुराने पेड़ यूआईटी की ओर से पुराना औषधालय परिसर की नीलामी की जानी है। यहां भी व्यावसायिक उपयोग के लिए जमीन बेची जानी है। इस परिसर में बरगद का पुराना पेड़ सहित करीब 25 हरे पेड़ हैं।
नए पेड़ सिर्फ कागजों तक: सरकार की ओर से पुराने हरे पेड़ों को काटने की मंजूरी संबंधित विभाग को नए पेड़ लगाने की शर्त पर दी जाती है। मंजूरी मिलने के बाद पुराने हरे पेड़ तो कट जाते हैं, लेकिन उतनी संख्या में नए पेड़ नहीं लग पाते। यही कारण है कि जिले में पर्यावरण संतुलन गड़बड़ाने से प्रदूषण की समस्या गहराने लगी है।
जीएसएस के लिए पहले ही दी मंजूरी खैरथल में नगर पालिका की जमीन पर जीएसएस निर्माण के लिए वन विभाग पालिका प्रशासन को पहले ही चार हजार से ज्यादा हरे पेड़ों की कटाई की एनओसी जारी कर चुका है। अब किसी भी समय खैरथल में डीम्ड वन क्षेत्र में लगे चार हजार से ज्यादा हरे पेड़ों की कटाई शुरू हो सकती है। इससे पूर्व भी कटीघाटी से अंहिसा सर्किल तक सडक़ चौड़ी करने के दौरान कई दर्जन पुराने हरे पेड़ों पर आरी चल चुकी है।
यूआईटी की ओर से नीलाम की गई जमीन पर लगे कुछ ही हरे पेड़ काटने पड़ेंगे। योजना का साइट प्लान हरे पेड़ों की कटाई से बचाकर तैयार किया गया है।
तैयब खान, एक्सईएन, यूआईटी अलवर।
तैयब खान, एक्सईएन, यूआईटी अलवर।