अपर लोक अभियोजक संख्या-2 सुनील जैन ने बताया कि पीडि़ता ने इस्तगासे के जरिये थाना तिजारा में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 2 अगस्त 2016 को सायं करीब 5 बजे वह जैरोली बस अड्डे पर आ रही थी। रास्ते में अख्तर उर्फ मिस्सा पुत्र रमजान निवासी जैरोली थाना तिजारा व शकील पुत्र मगरुद्दीन निवासी पढ़ेनी थाना तावडू हरियाणा मिले, जो उसके पिता के जानकार थे। उन्होंने उसे पीहर छोडऩे की बात कही और विश्वास में लेकर बाइक पर बैठा लिया, लेकिन दोनों उसे पीहर ना ले जाकर सिरमोली ले गए और वहां रिश्तेदार के यहां कमरे में बंद कर बंधक बना लिया। कट्टा दिखाकर जान से मारने की धमकी दी।
दो दिन तक दोनों ने दुष्कर्म किया। वहां से ये लोग अन्य लोगों के सहयोग से पीडि़ता को अलवर ले गए, जहां दुष्कर्म किया। पीडि़ता को 4 दिनों तक अन्य अनजान जगह पर रखा। उसके बाद जयपुर आदि जगह पर बंधक बनाकर दुष्कर्म करते रहे। 8 अगस्त 2016 को दोनों आरोपित पीडि़ता को कार में बैठा डरा-धमकाकर व जबरदस्ती कोरे कागजों पर दस्तखत कराकर तिजारा बस अड्डे पर छोड़ गए। बस अड्डे से पीडि़ता डरी-सहमी तिजारा थाने पहुंची।
पीडि़ता ने तिजारा थाने में रिपोर्ट दी, लेकिन पुलिस के कार्रवाई नहीं करने पर पीडि़ता ने इस्तगासे के जरिये 17 अगस्त को थाने में मामला दर्ज कराया। पुलिस ने घटना की जांच कर अपहरण कर कमरे में बंधक बनाकर आरोपितों के खिलाफ दुष्कर्म व आम्र्स एक्ट का मामला दर्ज कर न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया। जिसकी सुनवाई पूरी करते हुए न्यायालय ने दोनों आरोपितों को दोषी मानते हुए 20-20 साल की कठोर सजा एवं एक-एक लाख रुपए के अर्थदंड से दंडित किया।