हरियाणा में पूर्व में खनन पर रोक लगाने से खनन माफिया ने अलवर के तिजारा, भिवाड़ी, किशनगढ़ सहित अन्य क्षेत्रों में पांव पसार लिए। सालों तक अरावली पवर्तमाला में चले अवैध खनन के कारण जिले से बेशकीमती खनिज सम्पदा निकाल कर हरियाणा व अन्य स्थानों पर भेजी गई। इससे जिले को करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा।
एनजीटी ने दिए सख्त आदेश तो चिह्नित किए क्रशर
एनजीटी की ओर से अवैध खनन रोक के लिए उठाए सख्त कदमों का नतीजा है कि हरियाणा सरकार ने वहां अवैध तरीके से चल रहे 379 क्रशरों की पहचान की। इन क्रशरों पर अलवर से जाने वाले अवैध खनन के मिनरल्स को खपाया जाता था। एनजीटी ने पूर्व में हरियाणा सरकार को इन क्रशरों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए थे। इस पर भी हरियाणा सरकार की कार्रवाई शिथिल रही। इस कारण ११ दिसंबर को एनजीटी की ओर से हरियाणा सरकार को सख्त आदेश दिया।
430.80 करोड़ का हुआ अलवर को नुकसान
अवैध खनन से अलवर जिले को 430.80 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। अवैध खनन के चलते अलवर जिले की अरावली पहाडि़यों से 5 करोड़ 22 लाख 83 हजार 390 मीट्रिक टन मिनरल्स निकाला गया। इसमें से ज्यादातर मिनरल्स अवैध तरीके से परिवहन कर हरियाणा भेजा गया। जिला कलक्टर अलवर ने एनजीटी को पेश रिपोर्ट में जिले में करीब 480.80 करोड़ रुपए के नुकसान का आंकलन किया है।
अवैध खनन से अलवर जिले को 430.80 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। अवैध खनन के चलते अलवर जिले की अरावली पहाडि़यों से 5 करोड़ 22 लाख 83 हजार 390 मीट्रिक टन मिनरल्स निकाला गया। इसमें से ज्यादातर मिनरल्स अवैध तरीके से परिवहन कर हरियाणा भेजा गया। जिला कलक्टर अलवर ने एनजीटी को पेश रिपोर्ट में जिले में करीब 480.80 करोड़ रुपए के नुकसान का आंकलन किया है।
हरियाणा सरकार की क्रशरों पर कार्रवाई धीमी रही
खनन माफिया ने अलवर जिले में अवैध खनन कर मिनरल्स को हरियाणा के क्रशरों पर भेजा। हरियाणा में खुलेआम अवैध खनन पत्थर पिसकर खनन माफिया ने मोटी रकम कमाई, लेकिन इसका लाभ न तो राजस्थान सरकार को हुआ और न ही हरियाणा सरकार को। वहीं वन एवं खान विभाग को अवैध खनन रोकने पर करोड़ों रुपये खर्च करनी पड़ी। बड़े पैमाने पर खनिज पदार्थ का क्रशरों पर उपयोग होने के बावजूद हरियाणा सरकार की ओर से इन क्रशरों के खिलाफ कार्रवाई धीमी रही।
खनन माफिया ने अलवर जिले में अवैध खनन कर मिनरल्स को हरियाणा के क्रशरों पर भेजा। हरियाणा में खुलेआम अवैध खनन पत्थर पिसकर खनन माफिया ने मोटी रकम कमाई, लेकिन इसका लाभ न तो राजस्थान सरकार को हुआ और न ही हरियाणा सरकार को। वहीं वन एवं खान विभाग को अवैध खनन रोकने पर करोड़ों रुपये खर्च करनी पड़ी। बड़े पैमाने पर खनिज पदार्थ का क्रशरों पर उपयोग होने के बावजूद हरियाणा सरकार की ओर से इन क्रशरों के खिलाफ कार्रवाई धीमी रही।
एनजीटी की ओर से अवैध खनन मामलों में दिया गया यह आदेश राष्ट्रीय उदाहरण है। संभवत: पहली बार इस आदेश में किसी सरकार को अवैध खनन वाले क्रशरों की पहचान कर अवैध खनन प्रभावित जिले को नुकसान की भरपाई के लिए जुमार्ना राशि वसूल लौटाने के आदेश दिए गए हैं। यह कार्रवाई वन विभाग के लिए एक बेंचमार्क है।
डॉ. शलभ कुमार , डीसीएफ, वन विभाग अलवर
डॉ. शलभ कुमार , डीसीएफ, वन विभाग अलवर