अभिभावक असमंजस में अलवर जिले में स्कूलों में प्रवेश को लेकर इस बात को लेकर असमंजस में है। इनका कहना है कि अलवर में अधिक स्कूल नहीं होने के कारण हमारे पास अच्छे विकल्प नहीं है। इस समय फीस भी स्कूलों की अलवर के हिसाब से कम नहीं है। अब बच्चों की पढ़ाई का खर्चा ही सबसे अधिक हो गया है जबकि दूसरा नम्बर खाने और पीने का है। यदि बच्चों की पढ़ाई सही ढंग से हो जाती है तो इससे रोजगार में आसानी रहती है।
प्रवेश के समय रखें ध्यान गैर सरकारी स्कूलों में प्रवेश के समय यह देखा जाना चाहिए कि उनके पास क्या-क्या संसाधन हैं। स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई का वातावरण क्या है, यह देखना होगा। स्कूलों में छोटे बच्चों को शिक्षकों के व्यवहार को देखना चाहिए। प्रारम्भिक शिक्षा में बच्चों के शिक्षकों के व्यवहार का बड़ा प्रभाव पड़ता है। ऐसा स्कूल होना चाहिए जिसमें बच्चे के साथ एटेचमेंट हो। भावनात्मक रूप से बच्चे को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। वर्तमान में कई बड़े स्कूलों में बच्चे पीछे रह जाते हैं। अभिभावकों को बच्चों की भावनाओं को समझना चाहिए।
लक्ष्मी खंडेलवाल,
शिक्षाविद्, अलवर।