जिले में गोतस्करी की घटनाओं और गोतस्करों व पुलिस के बीच मुठभेड़ की बढ़ती घटनाओं ने लोगों की ही नहीं, पुलिस प्रशासन की नींद भी उड़ा दी है। लोगों को सबसे ज्यादा चिंता इस बात से है कि पड़ोसी राज्य हरियाणा से आने वाले गोतस्कर शहर के कॉलोनी व मोहल्लो में रातभर बेखोफ घूमने लगे हैं। एेसे में लोगों का रात के समय घरों से बाहर निकलना मुश्किल होने लगा है।
इसलिए बढ़ रहे गोतस्करों के हौसले
गोतस्करों के इन दिनों हौंसला बढऩे का बड़ा कारण अलवर से हरियाणा की ओर से जाने वाले सहज रास्ते भी हैं। अलवर से गो वंश लेकर गो तस्कर 20 से 30 मिनट में आसानी से जिले की सीमा पार कर उत्तर प्रदेश, हरियाणा व अन्य जिलों व राज्यों की सीमा में प्रवेश कर जाते हैं। गोतस्कर इसके लिए पक्के रास्तों के बजाय इन मार्गों के इर्द-गिर्द जाने वाले कच्चे मार्गों का ज्यादा उपयोग करते हैं।
गोतस्करों के इन दिनों हौंसला बढऩे का बड़ा कारण अलवर से हरियाणा की ओर से जाने वाले सहज रास्ते भी हैं। अलवर से गो वंश लेकर गो तस्कर 20 से 30 मिनट में आसानी से जिले की सीमा पार कर उत्तर प्रदेश, हरियाणा व अन्य जिलों व राज्यों की सीमा में प्रवेश कर जाते हैं। गोतस्कर इसके लिए पक्के रास्तों के बजाय इन मार्गों के इर्द-गिर्द जाने वाले कच्चे मार्गों का ज्यादा उपयोग करते हैं।
बड़ी समस्या है
अलवर-नूंह मार्ग पर अलवर जिले की सीमा नौगांवा तक लगती है। अलवर शहर से नौगांवा करीब 30 किलोमीटर है और वहां तक पहुंचने में 20 से 30 मिनट लगती है। इसी तरह अलवर-मथुरा मार्ग पर अलवर जिले की सीमा जालूकी चौराहे तक है। अलवर से जालूकी चौराहा 36 किलोमीटर है और वहां पहुंचने में 30 से 35 मिनट का समय लगता है। इसी तरह कई और एेसे रास्ते हैं, जिनकी मदद से कम समय में आसानी से हरियाणा व अन्य राज्यों की सीमा में प्रवेश किया जा सकता है।
हरियाणा को भी उठाना चाहिए कठोर कदम
हरियाणा पुलिस व प्रशासन की तरफ से गो तस्करों के खिलाफ कार्रवाई में शिथिलता भी जिले में आपराधिक घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराई जा रही है। राजस्थान व हरियाणा के सीमावर्ती जिलों के कच्चे- पक्के रास्तों पर सामूहिक पुलिस गश्त या जांच की व्यवस्था नहीं होगी, एेसे अपराधों पर रोक लगाना मुश्किल है।
हरियाणा पुलिस व प्रशासन की तरफ से गो तस्करों के खिलाफ कार्रवाई में शिथिलता भी जिले में आपराधिक घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराई जा रही है। राजस्थान व हरियाणा के सीमावर्ती जिलों के कच्चे- पक्के रास्तों पर सामूहिक पुलिस गश्त या जांच की व्यवस्था नहीं होगी, एेसे अपराधों पर रोक लगाना मुश्किल है।