अलवर जिले में कई जागरूक अभिभावक एज्युकेशन एप डाउन लोड करके उनकी फीस देकर उसी पर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। ये वो एप हैं जिन्हें परिष्कृत रूप दिया है। इन एप पर बच्चे को होम वर्क दिया जाता है और उसे प्रतिदिन चेक किया जाता है। कई एप में तो अमेरिका की बेहतर शिक्षा पद्धति के अनुसार पढ़ाई करवाई जा रही है। इन एप के प्रति रुझान निरन्तर बढ़ता जा रहा है।
शिक्षा क्षेत्र में आ सकता है परिवर्तन- शिक्षाविदों का कहना है कि हर क्षेत्र में परिवर्तन आ रहा है तो ऐसे में शिक्षा का क्षेत्र कैसे अछूता रह सकता है। इस समय बच्चों का स्कूल जाना संभव नहीं है और छोटी कक्षाओं के लिए स्कूल जाने की अनिवार्यता समाप्त हो सकती है। उसे कक्षा के हिसाब से ज्ञान होना चाहिए जिससे उसे अगली कक्षा में प्रवेश दिया जा सके। बड़ी कक्षाओं में तो बच्चे पहले ही बिना शिक्षण संस्थाए ही टॉपिक के आधार पर ऑन लाइन पढ़ते हैं। कई शहरों में तो यह पहले ही हो गया है कि एक सप्ताह में मात्र एक या दो दिन ही स्कूल जाना होगा। इसके लिए स्कूल उसी हिसाब से पाठ्यक्रम तैयार कर रहा है।
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समय की मांग-
घर पर बैठकर बच्चों का पढऩा समय की मांग है। हो सकता है कि छोटे बच्चों के स्कूल जाने का कंसेप्ट ही समाप्त हो जाए। इस समय बच्चे स्कूलों से अधिक तो घर में बैठकर पढ़ सकते हैं। इसमें अभिभावकों का जागरुक होना आवश्यक है।
-नीता गुप्ता, अभिभावक।
घर में पढ़ाना आसान- इतने छोटे बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहिए जो अपना नाम तक सही तरीके से बोल नहीं सकते। अब ऐसे एप आ गए हैं कि हम इन्हें घर पर ही आसानी से पढ़ा सकते हैं। इसमें दिक्कत जरूर आएगी।
-गरिमा कौशिक, अभिभावक।
घर में पढ़ा सकते हैं-
हम बच्चों को स्कूल से अधिक घर में ही पढ़ा सकते हैं। इसके लिए घर में माहौल बनाना होगा। यह छोटी कक्षाओं के लिए सही है, इसके लिए बहुत से एप बाजार में अभी आए हैं जिनसे पढऩे का क्रेज बढ़ता जा रहा है।
-अंजली मेहंदीरत्ता, अभिभावक।