हॉस्टल की छात्राओं के उपयोग के लिए छत रखी गई पानी की टंकियों पर ढक्कन नहीं है। इस पानी में आए दिन बंदर नहाते रहते हैं। ऐसे में पानी खराब होने के बाद भी इस पानी का उपयोग करना इनकी मजबूरी है। गंदे पानी के प्रयोग से स्कीन डिजिज जैसी समस्याएं पनन सकती हैं। इतना ही नहीं हॉस्टल के पास ही पिछले कई दिनों से बरसाती पानी जमा हुआ है। इस पानी की वजह से यहां पर मच्छर पनप रहे हैं। यहां पास में ही जनाना अस्पताल है जिसमें प्रसुताएं और शिशु भर्ती है। अस्पताल की खिड़कियां टूटी होने के कारण यहां से मच्छर प्रसुता और शिशुओं को नुकसान पहुंचा रहे हैं। लेकिन इसके बाद भी आज तक इस पानी को यहां से निकाला नहीं गया है। हॉस्टल के सामने ही पिछले काफी समय से बॉयोमेडिकल वेस्ट पड़ा हुआ है। जिसकी बदबू और गंदगी से छात्राएं परेशान है । लेकिन इसके बाद भी इस कचरे को यहां से हटाया नहीं जा रहा है। जिससे नर्सिग का प्रशिक्षण ले रही छात्राओं में बीमारी फैलने का संदेशा बना रहता है।
छात्राओं ने बताया कि सफाईकर्मी महिला यहां अच्छी तरह से सफाई नहीं करती है। इससे शौचालय व टॉयलेट में गंदगी रहती है। इधर, हॉस्टल वार्डन पूजा मीणा ने बताया कि पानी टैंकरों से डलवाया जाता है। टंकियों के ढक्कन बंदरों ने तोड़ दिए इसके कारण खुली हुई है। इन टंकियों का उपयोग पीने के लिए नहीं होता है। जमा पानी तथा बायोमेडिकल वेस्ट को हटाने के लिए कई बार कहां जा चुका है । लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।