वहीं शुक्रवार सुबह समीपवर्ती श्यालौता गांव के जनप्रतिनिधि एवं अन्य वन अधिकारियों के पास पहुंचे और गांव में की जा रही कार्रवाई में शिथिलता बरतने को कहा, लेकिन वन अधिकारियों ने पहले सांभर के शिकारी को सौंपने की शर्त रखी। सरिस्का प्रशासन की ओर से शिकारियों के प्रति नरमी का रुख सरिस्का बाघ परियोजना के लिए नुकसानदेह साबित हो रही है।
गत जनवरी में सांभर के शिकार में शामिल लोगों की तीन महीने तक गिरफ्तारी नहीं होने का नतीजा यह रहा कि गत 19 मार्च को इंदौक के पास बाघ एसटी-11 का शिकार हो गया। यदि इन शिकारियों की पहले ही गिरफ्तारी हो जाती तो वे बाघ के शिकार की घटना को अंजाम नहीं दे पाते। इसी तरह नारायणीमाता रोडिया बांध के पास नांगलदास गांव में ग्रामीणों ने रात करीब 10.30 बजे बंदूक से गोली मार सांभर का शिकार किया। बाद में ग्रामीणों ने सांभर का मांस आदि बांट लिया। उसी दौरान अजबगढ़ रेंज की टीम बाघिन एसटी-5 को खोजती हुई नांगलदास गांव पहुंच गई। इस पर उन्हें सांभर का सिर व शिकार के अन्य अवशेष मिले। इसके बाद टीम ने शिकार के साक्ष्य जुटाए। गांव में ज्यादातर लोग बणजारा परिवार के हैं।
बाघिन एसटी-8 के पगमार्क सरिस्का बाघ परियोजना में सरिस्का प्रशासन को बाघिन एसटी 5 तो नहीं मिली, लेकिन बाघिन एसटी 8 के पगमार्क जरूर मिल गए हैं। बाघिन एसटी 8 के पगमार्क करीब एक सप्ताह से नहीं मिल रहे थे। बाघिन एसटी 8 के रेडियो कॉलर नहीं है। सरिस्का के डीएफओ बालाजी करी ने बताया कि करीब एक सप्ताह की तलाश के बाद शुक्रवार को बाघिन एसटी 8 के पगमार्क मिल गए।