अलवर शहर में हर मोड़ पर अंधेरा है। जिसके कारण हर मोड़ पर अपराधियों के आने का डर बना हुआ है। लोगों ने दुकानों और घरों में कैमरे रखे हैं, लेकिन अंधेरे में कैमरे भी सही तरीके से काम नहीं करते हैं। अलवर शहर में रोड लाइट को दुरूस्त रखने का जिम्मा नगर परिषद और यूआईटी का है, लेकिन दोनों ही एक-दूसरे पर दोष मढ देते हैं। अलवर शहर की अधिकतर कॉलोनियों में तो रोड लाइट जलती ही नहीं है। शहर के मुख्य बाजारों में ही रोड लाइटें नहीं जल रही है जिसके कारण आम आदमी परेशान है।
कोई वीआईपी आता है तो जल जाती है लाइटें
शहर में हालात यह बने हुए हैं कि कई जगह रोडलाइटें दिन-रात जली रहती हैं तो कई जगह रात में भी नहीं जलती हैं। यहां से कोई वीआईपी गुजरता है या फिर कोई वीआईपी का कार्यक्रम होता है तो रोडलाइटें जल जाती हैं। वीआईपी के कार्यक्रम के एक-दो दिन बाद यहां फिर से अंधेरा छा जाता है।
वहीं, शहर के जनप्रतिनिधि और अधिकारियों के सरकारी आवासों के आसपास तो रोडलाइटें रातभर जलती हैं और आम जनता की राह अंधेरे में डूबी नजर आती है। वीआईपी के कार्यक्रम के एक-दो दिन बाद यहां फिर से अंधेरा छा जाता है। वहीं, शहर के जनप्रतिनिधि और अधिकारियों के सरकारी आवासों के आसपास तो रोडलाइटें रातभर जलती हैं और आम जनता की राह अंधेरे में डूबी नजर आती है।