मास्टर प्लान के विपरीत निर्माण होने पर सरकार को कई बार कोर्ट ने फटकारा है। फिर भी शहर के स्वरूप को बिगाड़ा जा रहा है। शहर में मंदिर माफी की जमीनों पर प्रभावशाली लोग निर्माण कर बहुमंजिला ईमारत और व्यावसायिक भवन बना रहे हैं। जिसके बारे में यूआईटी के जिम्मेदार अधिकारियों को पूरी जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
शहर में तिजारा रोड पर मंदिर माफी की बड़ी भूमि है। पहले जमीन का गैर कानूनी रूप से खरीद बेचान होता रहा। फिर अवैध निर्माण शुरू हो गया। अब तो मंदिर माफी की जमीन पर व्यावसायिक भवन खड़े हो रहे हैं। जिसके लिए यूआईटी या किसी अन्य विभाग से कोई अनुमति नहीं है। मंदिर माफी की जमीन पर निर्माण तो दूर बेचान भी नहीं हो सकता।
आवासीय कॉलोनियों में व्यावसायिक भवन शहर में आवासीय कॉलोनियों में व्यावसायिक भवन बन रहे हैं। कोई रोकने वाला नहीं है। कृषि कॉलोनियेां में बिना मंजूरी के निर्माण हो रहे हैं। मास्टर प्लान से बिल्कुल उलटे मनमर्जी से निर्माण किए जा रहे हैं। कई आवासीय कॉलोनियों में तो व्यावसायिक भवन बनाने की होड़ मची हुई है।
ना ग्रीन बैल्ट छोड़ी ना सैटबैक ग्रीन बैल्ट में निर्माण कर लिए गए। सैटबैक मनमर्जी से छोड़े जा रहे हैं। यूआईटी की कॉलोनियों में भी मनमर्जी से बहुमंजिला इमारत बन रही हैं। पार्र्किंग की जगह तो नक्शे में ही बची है। मौके पर नहीं। पूरे शहर में बड़े भवनों में पार्किंग खत्म हो गई है। कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।