सीइसी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करने के लिए रिपोर्ट तैयार की गई है, इस रिपोर्ट में अरावली की पहाडिय़ों से एक किलोमीटर दूरी में स्थित खानों को बंद करने का प्रस्ताव है। सीइसी की ओर से पिछले महीनों अलवर जिले के खनन स्थलों का निरीक्षण किया गया। इस दौरान सीइसी ने अरावली पहाड़ी से एक किलोमीटर की दूरी पर नीमली में एक खान चिह्नित की है। यह खान भी वर्तमान में बंद है।
अरावली से 10 किमी दूरी में क्रशर चिह्नित सीइसी ने अरावली पहाड़ी से 10 किलोमीटर दूरी में चल रहे क्रशर चिह्नित किए थे। अलवर जिले में अरावली पहाड़ी से 10 किलोमीटर दूरी में 23 क्रशर चिह्नित किए गए हैं। हालांकि इस परिधि में संचालित क्रशरों की संख्या भी चिह्नित से कहीं ज्यादा रही है।
सरिस्का के सीमावर्ती क्षेत्र में अरावली की पहाड़ी सरिस्का बाघ परियोजना की सीमा पर अरावली की पहाडिय़ा स्थित है। सबसे ज्यादा सरिस्का के सीमावर्ती टहला एवं आसपास का क्षेत्र अरावली की पहाडिय़ों से सटा है। इसी क्षेत्र में जिले में खनन कार्य ज्यादा होता है। यहां मार्बल एवं अन्य कीमती पत्थरों की खान हैं। सरिस्का, राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण सहित अन्य संस्थान इस क्षेत्र में 100 से ज्यादा स्थानों पर खनन होने की बात कह चुके हैं।
क्रशर व खान हो सकती हैं बंद सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी ने राज्य की हरियाणा सीमा से सटे 5 जिलों में बड़ी संख्या में क्रशर व खानों को लेकर गत 30 अगस्त को रिपोर्ट पेश की है। इसमें राजस्थान व हरियाणा के करीब 850 क्रशर व 350 खान हैं, इन पर ताले लग सकते हैं। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 16 सितम्बर को राज्य सरकार से जवाब मांगा है। इन पांच जिलों में अलवर, भरतपुर, जयपुर, सीकर व झुंझुनंू शामिल हैं। अधिकारियों का कहना है कि एक किमी के दायरे में 350 खान आ रही हैं। इनमें 250 राजस्थान व 100 खान हरियाणा में चल रही है। इसी प्रकार 10 किमी के दायरे में चल रहे 500 क्रशर में 200 राजस्थान और 300 हरियाणा में हैं। इनमें अलवर जिले की एक खान व 23 क्रशर शामिल हैं।