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कोरोना की मार से खत्म हुई रौनक, कभी आबाद रहने वाला राजस्थान का ये औद्योगिक क्षेत्र हो गया वीरान

कोरोना वायरस की मार से सबसे अधिक अलवर जिले के उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। प्रदेश में महत्वपूर्ण समझे जाने वाले अलवर जिले के औद्योगिक क्षेत्र में चारों तरफ रौनक दिखाई देती थी। कभी किसी फैक्ट्री की शिफ्ट समाप्त होने पर बजने वाला भोपू थम गया है…

अलवरApr 10, 2020 / 10:12 am

dinesh

अलवर। कोरोना वायरस की मार से सबसे अधिक अलवर जिले के उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। प्रदेश में महत्वपूर्ण समझे जाने वाले अलवर जिले के औद्योगिक क्षेत्र में चारों तरफ रौनक दिखाई देती थी। कभी किसी फैक्ट्री की शिफ्ट समाप्त होने पर बजने वाला भोपू थम गया है।
उद्योगों के बाहर सारे दिन चलने वाली चाय व समोसे की थड़ी तो वीरान हो गई है। इन उद्योगों में काम करने वाले हजारों श्रमिक अपने घरों को लौट गए हैं और हजारों श्रमिकों को उस दिन का इंतजार है, जब वह अपने काम पर जाएगा। द्वितीय विश्व युद्ध की घटना से बड़ी इस महामारी ने उद्योग जगत की कमत तोड़ दी है। ऐसे में बड़े उद्योगों को संभालने के लिए सरकार के सकारात्मक सहयोग की आवश्यकता है। राजस्थान पत्रिका ने इसी को ध्यान रखते हुए एक विशेष अभियान की शुरुआत की गई जिसमें प्रदेश स्तर पर वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से उद्योग जगत के सामने आ रही समस्याओं को सरकार के समक्ष रखा जाएगा। इसी अभियान की कड़ी में अलवर जिले के औद्योगिक संगठनों के पदाधिकारियों और उद्योगपतियों ने कोरोना संकट के बाद हुए लॉक डाउन के बाद उनके सामने आई समस्याएं, उद्योगों को फिर से पटरी पर लाने के लिए सरकार से कुछ अपेक्षाएं, सुझाव तथा कई मांग रखी।
उद्योगपतियों ने कहा कि सरकार चाहे लॉक डाउन 15 अप्रेल से हटा भी दें तो उद्योगों को दुबारा से स्थापित होने में कई माह लग जाएंगे। इन उद्योगों में काम करने वाले श्रमिक कई माह तक वापस नहीं आएंगे और दुबारा से माल के निर्यात होने और उन्हें भेजने की स्थिति में समय लगेगा। कोरोना का संकट पूरे विश्व पर पड़ा है तो इससे उद्योग जगत सबसे अधिक प्रभावित होगा। इसके लिए आवश्यक है कि सरकार ऐसे पैकेज की व्यवस्था करे जिससे भारत के डगमगाते उद्योगों को बचाया जा सके। यदि इन उद्योगों को ऊपर उठाने के प्रयास नहीं किए गए तो भारत की अर्थव्यवस्था भी मजबूत नहीं हो सकती। इसके लिए सरकार को भी राहत देनी है, वह जल्दी से जल्दी दे जिससे अलवर जिले के उधोग संभल सके।
पत्रिका ने हमारी आवाज उठाई, जो सरकार तक पहुंचेगी
वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से उद्योगपतियों ने अपनी समस्याएं और उपयोगी सुझाव देने से पहले राजस्थान पत्रिका का इसके लिए आभार जताया कि पत्रिका ने हमें इस कठिन समय में ऐसा प्लेटफार्म दिया जिस पर सभी औद्योगिक समूह अपनी बात एक सशक्त माध्यम से कह रहे हैं। हमारी यह मांग सरकार तक जाएगी जिससे मिलने वाली रियायते उद्योगों के लिए संजीवनी साबित होगी। उद्योगपतियों ने कहा कि पत्रिका सामाजिक सरोकार में हमेशा ही आगे रहा है जिसने देश व प्रदेश में आने वाले सभी संकटों में प्रहरी के रूप में अपनी भूमिका निभाई है।
सरकार ने नहीं संभाला तो उद्योग हो जाएंगे बंद
वीडियो कांफ्रेसिंग में यह बात सामने आई कि यदि सरकार ने उद्योगों को नहीं संभाला तो कई उद्योग तो बंद हो जाएंगे। सरकार जिस प्रकार महामारी से लोगों को बचाने का उपाए कर रही है, उसी प्रकार सरकार को उद्योगों को बचाने के लिए प्रयास करने होंगे।उद्योगपतियों ने अपनी बात में इन बिंदुओं पर स्पष्ट रूप से रखा जिनमें मुख्य यह हैं:-
– औद्योगिक बिजली चार्ज फिलहाल सरकार ने स्थगित किया है जिसे सरकार को लॉक डाउन की अवधि का पूरी तरह माफ कर देना चाहिए।

– सरकार को पुराने उद्योगों को चलाने के लिए विशेष पैकेज दें।
– सरकार आगामी 6 माह के लिए बिजली के रेट कम करे जिससे उद्योगों को राहत मिल सके।

– जो श्रमिक घर चले गए हैं, उन्हें उनके घर बैठे वेतन नहीं दिया जाए।
– प्रदेश से श्रमिकों का पलायन रोका जाए।

– पर्यटन उद्योग का विशेष पैकेज दिया जावे।

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