न किराएदारों का वैरिफिकेशन और न ही सुरक्षा इंतजाम
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
श्चड्डह्लह्म्द्बद्मड्ड.ष्शद्व
अलवर. जिले में किराएदारों का पुलिस वैरिफिकेशन न होना अपराध का बड़ा कारण है। अपनाघर शालीमार सहित जिले की आवासीय सोसायटी, कॉलोनी व मोहल्लों में हजारों लोग किराएदार हैं, लेकिन पुलिस उनका वैरिफिकेशन तक नहीं करती है। आवासीय सोसायटियों में पुख्ता सुरक्षा इंतजाम भी नहीं हैं। जिसके कारण इनमें चोरी, झगड़े, मारपीट और छेड़छाड़ की घटनाएं लगातार हो रही हैं। शहर में भी जब कोई बड़ी घटना हो जाती है तब पुलिस को किराएदारों के वैरिफिकेशन की याद आती है और फिर अपराधियों की तलाश में पुलिस डोर-टू-डोर सर्वे शुरू करती है।
न पुलिस गश्त और न ही गेट पर चैकिंग
अपनाघर शालीमार सोसायटी के लोगों का कहना है कि सोसायटी में पुलिस की गश्त नहीं लगती है। जबकि यहां शाम होते ही कई संदिग्ध और आपराधिक प्रवृत्ति के लोग घूमते नजर आते हैं। पुलिस यहां तब ही आती है जब कोई घटना हो जाती है। वहीं, सोसायटी के मुख्य गेटों पर गार्ड तो बैठे हैं, लेकिन वह सोसायटी में आने-जाने वालों पर ज्यादा नजर नहीं रखते हैं। कोई भी व्यक्ति बेरोक-टोक सोसायटी आ-जा सकता है। मंगलवार को पत्रिका टीम ने सोसायटी के मुख्य गेट के समीप खड़े होकर काफी देर तक सोसायटी के सुरक्षा इंतजामों को जांचा। इस दौरान कई लोग दुपहिया वाहनों से सोसायटी के अंदर घुसे, लेकिन गार्ड से किसी को भी रोककर पूछताछ नहीं की। वहीं, इंजीनियर संतोष शर्मा की हत्या के बाद सोसायटी प्रबंधन ने घटनास्थल के पास एक गुमटी बनाकर गार्ड तैनात कर दिया है।
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अलवर. जिले में किराएदारों का पुलिस वैरिफिकेशन न होना अपराध का बड़ा कारण है। अपनाघर शालीमार सहित जिले की आवासीय सोसायटी, कॉलोनी व मोहल्लों में हजारों लोग किराएदार हैं, लेकिन पुलिस उनका वैरिफिकेशन तक नहीं करती है। आवासीय सोसायटियों में पुख्ता सुरक्षा इंतजाम भी नहीं हैं। जिसके कारण इनमें चोरी, झगड़े, मारपीट और छेड़छाड़ की घटनाएं लगातार हो रही हैं। शहर में भी जब कोई बड़ी घटना हो जाती है तब पुलिस को किराएदारों के वैरिफिकेशन की याद आती है और फिर अपराधियों की तलाश में पुलिस डोर-टू-डोर सर्वे शुरू करती है।
न पुलिस गश्त और न ही गेट पर चैकिंग
अपनाघर शालीमार सोसायटी के लोगों का कहना है कि सोसायटी में पुलिस की गश्त नहीं लगती है। जबकि यहां शाम होते ही कई संदिग्ध और आपराधिक प्रवृत्ति के लोग घूमते नजर आते हैं। पुलिस यहां तब ही आती है जब कोई घटना हो जाती है। वहीं, सोसायटी के मुख्य गेटों पर गार्ड तो बैठे हैं, लेकिन वह सोसायटी में आने-जाने वालों पर ज्यादा नजर नहीं रखते हैं। कोई भी व्यक्ति बेरोक-टोक सोसायटी आ-जा सकता है। मंगलवार को पत्रिका टीम ने सोसायटी के मुख्य गेट के समीप खड़े होकर काफी देर तक सोसायटी के सुरक्षा इंतजामों को जांचा। इस दौरान कई लोग दुपहिया वाहनों से सोसायटी के अंदर घुसे, लेकिन गार्ड से किसी को भी रोककर पूछताछ नहीं की। वहीं, इंजीनियर संतोष शर्मा की हत्या के बाद सोसायटी प्रबंधन ने घटनास्थल के पास एक गुमटी बनाकर गार्ड तैनात कर दिया है।