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देखरेख के अभाव में बदहाल हो रहा जयसमंद बांध, सूख गया पेटा

कभी 30 गांव के किसानों के खेतों की होती थी सिंचाई, अब नजर आ रहा वीरान

अलवरJun 05, 2024 / 05:24 pm

mohit bawaliya

मालाखेड़ा. क्षेत्र के 30 गांवों के किसानों को आबाद करने वाला जयसमंद बांध अब खुद अपनी बर्बादी पर आंसू बहा रहा है। इसकी सार-संभाल व जल आवक मार्ग बाधित हो जाने से यह खाली ही रह जाता है।
तत्कालीन जिला कलक्टर डॉ. जितेंद्र सोनी ने नगर विकास न्यास से यहां पर्यटन के हिसाब से विकास कार्य संपन्न करवाए थे, लेकिन ङ्क्षसचाई विभाग ने जयसमंद बांध में जमा सिङ्क्षल्टग को हटाने का प्रयास नहीं किया। आरोप है कि प्रशासनिक उदासीनता के कारण रूपारेल नदी के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण हो रखे है, जिसके परिणाम स्वरूप जयसमंद बांध में नटनी का बारां बियर से बारिश का पूरा पानी नहीं पहुंचता है। इस क्षेत्र के किसानों का कहना है कि जयसमंद बांध का निर्माण आधुनिक अलवर रियासत के निर्माता राज ऋषि सवाईजयङ्क्षसह ने 1910 में किसान हित के लिए करवाया। जहां जयसमंद बांध से निकलने वाली नहर से महुआ, बांदीपुरा, रतवाका, सालपुर, गुजुकी, भजीट, सालपुर, सालपुरी, दादर, बुर्जा, खेड़ली सैयद सहित 30 गांव की कृषि भूमि की ङ्क्षसचाई होती रही है। उसे समय ङ्क्षसचाई विभाग किसानों से लगान भी लेता रहा है।
इस क्षेत्र के समाजसेवी पूर्व प्रधान शिवलाल गुर्जर समाजसेवी प्रेम पटेल, मनोज कुमार शर्मा, इलियास खान, उमरदीन रामानंद गुप्ता, भारतीय किसान यूनियन से जुड़़े भूपत ङ्क्षसह बलयान, धर्मचंद चौधरी, ईश्वर ङ्क्षसह चौहान, गणपत ङ्क्षसह राजपूत, सुरेंद्र ङ्क्षसह राजपूत आदि का कहना है कि समस्त जनप्रतिनिधि सरकार को मिलकर जयसमंद बांध को जीवित करने का संकल्प लेना चाहिए।

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