इस दल में अलवर से एकमात्र वो ही शामिल थे। शर्मा मूलत: नीमराणा के ग्राम जौनायचां कला के निवासी है। उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान अनेक कठिनाईयां आई लेकिन ईश्वर की कृपा ओर हिम्मत से सभी परेशानियों को झेलतेे हुए यह यात्रा पूरी। 19500 फीट की उँचाई पर पहुंचते ही आक्सीजन की कमी हो जाती है।
राज्य सरकार के शासन सचिवालय के खेल विभाग से वर्ष 2015 में सहायक लेखाधिकारी के पद से सेवानिवृत शर्मा ने बताया कि कैलाश और मानसरोवर को धरती का केंद्र माना जाता है। पुराणों के अनुसार मानसरेावर में भगवान शिव का धाम माना गया है और कैलाश पर्वत पर भगवान शिव साक्षात विराजमान है इसलिए सनातन धर्म में आस्था रखने वाले हर श्रद्धालु जीवन में एक बार कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने की इच्छा रखता है। यह इच्छा सभी की पूरी नहीं हो पाती है। भगवान की कृपा से मुझे यह मौका मिला है।
उन्होंने अपने यात्रा अनुभव बताते हुए कहा कि सभी 56 यात्री पिथौरागढ़ से गुंजी हैलीकॉप्टर से जाते हैं। 11000 फीट की ऊंचाई पर दो दिन रूकने के बाद ओम पर्वत का पड़ाव पार करते हुए लिपुलेख के रास्ते से चायना में प्रवेश किया। यहां से राक्षसताल व मानसरोवर झील जाते हैं। इसके बाद चायना बसों से यम द्वार तक गए। यहां से प्रथम दिन 16 किमी की कैलाश पर्वत की परिक्रमा होती है। पुरुषोतम शर्मा ने बताया कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा के दौरान थकावट तो होती है, लेकिन यात्रा पूर्ण होने के बाद जिस सुकून की प्राप्ती होती है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।