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करगिल विजय दिवस : अलवर के वीर सपूत ने देश के लिए दी शहादत, लेकिन परिवार अभी तक मदद के लिए काट रहा चक्कर

locationअलवरPublished: Jul 26, 2019 09:39:45 am

Submitted by:

Lubhavan

Kargil Vijay Diwas Alwar Martyr In Kargil War : अलवर के सत्यवीर सिंह ने दुश्मन से लोहा लेते हुए करगिल के युद्ध में शहादत दी थी।

Kargil Vijay Diwas : Satyaveer Singh Of Alwar Martyred In Kargil War

करगिल विजय दिवस : अलवर के वीर सपूत ने देश के लिए दी शहादत, लेकिन परिवार अभी तक मदद के लिए काट रहा चक्कर

Kargil Vijay Diwas Alwar Martyr Satyaveer singh:

अलवर. ( kargil vijay Diwas ) गांव में बने स्मारक पर जब पिता की प्रतिमा देखता हूं तो सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। पिता ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। देश के दुश्मनों से लोहा लेते हुए दुश्मनों को मार गिराया और 28 जून 1999 को ( kargil war ) करगिल के द्रास सेक्टर में शहादत देकर क्षेत्र का मान बढ़ाया, लेकिन हमारे परिवार को अब तक सरकार से मदद नहीं मिली। यह कहना है अलवर जिले के बहरोड़ क्षेत्र के ग्राम बसई भोपालसिंहपुरा निवासी करगिल शहीद सत्यवीर सिंह चौहान के पुत्र जगदीश सिंह का।
जगदीश का कहना है कि उनके दादा भी फौज में सेवा दे चुके हंै। पिता ने भी फौज में जाकर देश के लिए प्राणों की आहूति देकर समाज को प्रेरणा देने का काम किया है। जब पिता शहीद हुए थे तब वे तो बहुत छोटे थे। उस दुखद घड़ी में पत्रिका ने भी उनको सहायता देकर उनका मान बढ़ाया था। शहीद की वीरांगना कृपा देवी ने भरे गले से कहा कि हम उन्हें कभी नहीं भूल सकते। उनकी शहादत पर उनके साथ पूरे गांव को गर्व है, जो स्मारक के रूप में युवाओं को देश पर मर मिटने की प्रेरणा देती है। पति का साया सिर से उठने पर सबकुछ टूट सा जाता है, लेकिन उनकी शहादत ने उनके बच्चों को जीवन में कुछ कर गुजरने का जज्बा दिया है। गांव के स्मारक में लगी उनकी प्रतिमा को जब देखते हंै तो गर्व के साथ देश प्रेम का अहसास होता है। शहीद के नाम पर स्कूल का नाम व स्मारक को देख कर ग्रामीण युवा देश की सेवा करने की प्रेरणा लेकर सेना भर्ती की तैयारी करते हंै।
अभी तक नहीं मिली नौकरी

शहादत के बाद सरकार ने नौकरी देने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक परिवार में किसी को नौकरी नहीं मिली। शहीद की पुत्री रेखा नौकरी के लिए चक्कर काट रही है, लेकिन नौकरी नहीं मिल पाई। परिजन नौकरी नहीं मिलने के कारण परेशान हैं। शहीद की पुत्री रेखा को पहले नायब तहसीलदार की नौकरी मिलनी थी, लेकिन उस समय कहा गया कि इस ग्रेड की नौकरी नहीं मिल सकती है, इसके बाद पटवारी की नौकरी का आश्वासन दिया गया। जिसके आवेदन करने के बाद भी उसको नियुक्ति नहीं मिल पाई है। आठ साल से लगातार चक्कर काटने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है, अब परिवार ने उम्मीद ही छोड़ दी है।
परिवार में है फौजी

शहीद सत्यवीर सिंह चौहान के पिता सरदार सिंह स्वयं सेना में सिपाही थे। उनके भाई भी सेना में थे। सत्यवीर सिंह के चार बच्चे हंै जिसमें बेटी ओमबाई व रेखा है तथा पुत्र जगदीश सिंह व नाहर सिंह है। शहादत के समय बच्चे छोटे थे जिनका उनकी मां कृपादेवी ने पालन पोषण कर अपनी जिम्मेदारी निभाई। शहीद की अंत्येष्टि में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाग लेकर परिजनों को सांत्वना दी थी। परिवार को पत्रिका के जनमंगल ट्रस्ट की ओर से 51 हजार की सहायता दी गई थी जो परिवार के लिए बड़ा सहारा बनी।
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