साठ साल की उम्र में कत्थक नृत्यांगना बनी
अलवरPublished: Jun 27, 2022 09:57:31 pm
. लोगों को कहते हुए सुना है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। लेकिन यह बात हकीकत भी है । जी हां कोरोना के दौरान लोगों को ऑनलाइन सीखने का मौका मिला तो बचपन में दबी इच्छाएं बाहर आई और घर बैठे कुछ सीखने का मौका भी मिल गया । ऑनलाइन प्लेटफार्म ने बहुत से लोगों की जिंदगी में नया रंग भर दिया है। उदयपुर की रहने वाली साठ साल की रेणू गोयल पिछले एक साल से ऑनलाइन कत्थक सीख रही है।
साठ साल की उम्र में कत्थक नृत्यांगना बनी
लोगों को कहते हुए सुना है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। लेकिन यह बात हकीकत भी है । जी हां कोरोना के दौरान लोगों को ऑनलाइन सीखने का मौका मिला तो बचपन में दबी इच्छाएं बाहर आई और घर बैठे कुछ सीखने का मौका भी मिल गया । ऑनलाइन प्लेटफार्म ने बहुत से लोगों की जिंदगी में नया रंग भर दिया है। उदयपुर की रहने वाली साठ साल की रेणू गोयल पिछले एक साल से ऑनलाइन कत्थक सीख रही है। यह उन लोगों के लिए प्रेरणा दायक है जो साठ साल होने के बाद यह सोचते हैँ कि जिंदगी में सब कुछ खत्म हो रहा है अब वो कभी भी कुछ नहीं सीख सकते हैँ उनका शरीर कमजोर हो गया है।
रेण बताती है कि उन्होंने बचपन में कत्थक सीखा लेकिन लेकिन वह पूरी तरह से सीख नहीं पाई। अब जबकि बेटी और बेटी की शादी हो गई है और उनके पास बहुत सा समय है तो वह इस समय को अपने लिए उपयोगी बना रही है, ऑनलाइन कत्थक की शिक्षा अलवर के रहने वाले कत्थक गुरु मनीष जैन से ले रही है। इस साल कत्थक में प्रथम साल की परीक्षा देने वाली है। प्रतिदिन दिन में तीन से साढे चार बजे तक ऑनलाइन क्लास लेती हैं। इसस पहले सुबह योगा, मेडीटेशन के बाद कत्थक का अभ्यास भी करती है। इनके पति डा.वीरेंद्र गोयल उदयपुर में प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है। रेणू गोयल ने बताया कि उनके कत्थक सीखने के दौरान पति का भी पूरा सहयोग रहता है। जब वह अभ्यास करती हैं तो पति इस दौरान अपना काम अपने आप ही करते हैं। रेणू अलवर की रहने वाली है। अलवर में रहने के दौरान बेटी ने कत्थक सीखा था, इसके बाद जब बच्चों की जिम्मेदारी पूरी हुई तो ऑनलाइन कत्थक सीखने का विचार आया।
रेणू का कहना है कि साठ साल की उम्र में अपनी हॉबी के लिए सोचना जरुरी है । इसलिए मैँने एवरग्रीन क्लब भी ज्वाइन किया हुआ है जहां मेमेारी गेम आदि खेलते हैँ। हर किसी को अपने लिए समय निकालना चाहिए यदि आप अपने लिए नहीं सोचेंगे तो जिदंगी बोझ लगने लगती है क्योकि इस समय तक बच्चे बडे हो जाते हैं उनकी अपनी दुनिया बन जाती है। इसलिए अपने लिए कुछ ना कुछ करते रहना जरुरी है।