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राजस्थान की पांचवी सबसे बड़ी कृषि उपज मंडी को है सुविधाओं की दरकार, जानिए खेरली कृषि उपज मंडी का हाल

locationअलवरPublished: Nov 08, 2018 10:42:19 am

Submitted by:

Hiren Joshi

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Kherli Krashi Upaj Mandi Problems and Present Condition

राजस्थान की पांचवी सबसे बड़ी कृषि उपज मंडी को है सुविधाओं की दरकार, जानिए खेरली कृषि उपज मंडी का हाल

खेरली. करीब दो दशक पूर्व बर्ष 1997 में निर्मित खेरली की ‘अ’ श्रेणी कृषि उप मंडी वर्तमान में प्रदेश की नामचीन कृषि उपज मंडियों शुमार है।
प्रदेशभर की मंडियों में लगभग पांचवां स्थान प्राप्त खेरली की कृषि उपज मंडी में ज्यादातर आवक सरसों की होती है। इसके अलावा गेहंू, बाजरा व ढेंचे की आवक भी बहुतायत मात्रा में होती है। हालांंकि स्थानीय कृषि उपज मंडी प्रदेशभर की नामचीन मंडियों में है, लेकिन यहां भी व्यापारी व किसानों के लिए मृलभूत आवश्यकताओं का अभाव देखने को मिलता है। उक्त मूलभूत आवश्यकताओं की कमी के चलते यहां के व्यापारी तथा यहां आने वाले किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उक्त मूलभूत आवश्यकताओं में मंडी प्रांगण में बनी सडक़, पेयजल सार्वजनिक शौचालय व सीसीटीवी कैमरों सहित अन्य कई समस्याएं व्याप्त हंै।
मंडी के नामी व्यापारी तथा व्यापार समिति अध्यक्ष सेठ प्रमोद बंसल ने बताया कि मंडी प्रांगण में बनी हुई सडक़ पर जगह-जगह गहरे गड्ढे हो रहे हैं। जिससे आवागमन करने के साधन तथा किसानों द्वारा लाए जाने वाले वाहनोंं के आवागमन में भारी दिक्कतें आती हैं। इसलिए मंडी में चारों ओर फिर से सडक़ का डामरीकरण होना जरूरी है। वहीं मंडी के व्यापारियों के पास आने वाली जिंस को रखने वेयर हाउस का होना अति आवश्यक है। वेयरहाउस के लिए पूर्व में अनेक बार मंडी समिति तथा व्यापार समिति द्वारा मांग की गई, लेकिन उसका कोई निष्कर्ष नहीं निकला। वेयर हाउस के अभाव में व्यापारियों को मजबूरन अपना माल निजी गोदामों में रखना पड़ता है।
व्यापार समिति अध्यक्ष ने बताया कि हाल ही में उनके द्वारा कपास की जिंस लेने की शुरूआत की थी, लेकिन क्षेत्र में कपास की कम आवक के चलते जिंस को लेना बंद करना पड़ा। इसके अलावा कृषि उपज मंडी प्रांगण में किसी भी बैंक का न होना भी व्यापारियों के लिए बहुत बड़ी परेशानी का कारण बना हुआ है। पूर्व में मंडी परिसर में ही पंजाब नेशनल बैंक की शाखा खुली हुई थी, जिससे व्यापारियों को रुपयों का लेनदेन करने के लिए ज्यादा देर नहीं जाना पड़ता था। लेकिन इस बैंक के मंडी परिसर से बाहर शिफ्ट हो जाने पर मंडी व्यापारियों को परिसर से बाहर जाना पड़ता है, जिससे उनके व्यापार पर असर पड़ता है। कृषि उपज मंडी के व्यापारी व नगर पालिका के पार्षदों कल्लाराम गर्ग व सुरेंद्र गोयल ने बताया कि ‘अ’ श्रेणी की कृषि उपज मंडी होने के उपरांत मंडी परिसर में कहीं भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है। सार्वजनिक शौचालय के अभाव के चलते मंडी व्यापारी तथा किसानों को खुले में शौच जाना पड़ता है। जो कि केन्द्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन की धज्जियां उड़ाने का जीता जागता उदाहरण है।
पेयजल के लिए कृषि उपज मंडी में दो-तीन वाटर कूलर भी लगे हुए हंै। लेकिन नाम के वाटर कूलरों में हमेंशा गर्म पानी ही पीने को मिलता है। वहीं मंडी में सीसीटीवी कैमरों के अभाव के चलते आऐ दिन मंड़ी परिसर में रखी जिंसों की चोरी होने की वारदातें सामने आती है। अगर मंडी में सीसीटीवी कैमरें लग जाऐ तो मंड़ी प्रांगण होने वाली चोरीयों पर अंकुश लगाया जा सकता है। उन्होंनें बताया कि मंडी में व्यापारियों के प्रतिष्ठानों के आगे फड़ बने हुए हैं, जो कि खुले में बने हुऐ हैं। सर्दी व गर्मी के मौसम में खुले फड़ों पर ही किसानों के माल की तुलाई व भराई की जाती है। जिससे किसानों तथा मजदूरों को परेशानी होती है। इसके समाधन के लिए समस्त फड़ों पर टीन शेड लगाने का प्रस्ताव भी रखा गया, लेकिन व्यापारी आपसी असमंजस के चलते अभी तक स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। इसके अलावा मंडी समय निर्धारित न होने की वजह से भी व्यवस्था गड़बड़ाई हुई है। नियमानुसार 12 बजे से शुरू होने वाली मंडी में कार्य 12 बजे के बाद ही शुरू होता है। जिससे समय रहते किसानों के माल की बिक्री नहीं हो पाती और वो लेट हो जाते हंै।
सरकारी लैब की जांच पर संशय

सरसों में तेल की मात्रा का मापन करने यूं तो कृषि उपज मंडी परिसर में लैब खुली हुई है। लेकिन स्थानीय व्यापारी ज्यादातर बाहर की निजी लैंबों का ही सहारा लेते हंै। इस मामले की जानकारी करने पर मुख्य कारण निकला कि सरकारी लैब में सरसों में तेल की मात्रा शुद्ध बताई जाती है। वहीं बाहर की निजी लैंबो पर व्यापारियों द्वारा निर्धारित मात्रानुसार ही सरसों की जांच की जाती है। जिससे किसानों का आर्थिक शोषण होता है।
व्यापार समिति भवन हो तो मिले लाभ$

कृषि उपज मंडी के व्यापारियों को सुविधाएं प्रदान करने 1960 में ही व्यापार समिति का गठन हो चुका था। लेकिन अभी तक कृषि उपज मंडी में व्यापार समिति के भवन का निर्माण नही हो पाया है। वर्तमान में व्यापार समिति का भवन पुरानी अनाज मंडी स्थित भारतीय स्टेट बैंक के ऊपर के भवन में संचालित है। लेकिन कृषि उपज मंडी से दूर होने के कारण उक्त भवन में भी बैंक के कामकाज ही निपटाए जाते हैं। व्यापार समिति अध्यक्ष प्रमोद बंसल ने बताया कि व्यापार समिति के भवन के दूर होने से व्यापारियों की संयुक्त बैठक भी नहीं हो पाती है। अगर भवन का निर्माण कृषि उपज मंडी प्रांगण में हो जाए तो व्यापारियों की बैठक भी हो सकती है, जो कि व्यापारी एकता के लिए महत्वपूर्ण है।
बंदरों के उत्पात से परेशानी

भारी तादाद में बंदरों के होने से व्यापारी व किसानों द्वारा परेशानी का सामना करना पड़ता है। मंडी प्रांगण के चारों ओर लगे हुए पेड़ों तथा सघन जंगल जैसी स्थिति के चलते बंदरों द्वारा यहां पर अपना जमावड़ा जमाया हुआ है। जो आए दिन व्यापारिक प्रतिष्ठानों के सामने खड़े दोपहिया वाहनों को गिराने तथा किसान व मजदूरों द्वारा अपने साथ लाए जाने वाली खाने की सामग्रियों को नुकसान पहुंचाते रहते हैं। जो कि व्यापारी, किसानों व मजदूरों के लिए सिरदर्द बना हुआ है।
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