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इन्हें नाम नहीं सेवा से मतलब, यह है अलवर की कोरोना राहत टीम

locationअलवरPublished: Apr 01, 2020 10:51:49 am

Submitted by:

Dharmendra Adlakha

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉक डाउन में श्रमिक व दिहाड़ी मजदूरों और राहगीरों को सभी गुरुद्वारों में राशन बन रहा है। अलवर शहर में कई स्थानों पर राशन किट व भोजन बनाने और उन्हें पहुंचाने का काम चल रहा है। ऐसे में युवाओं की एक ऐसी टीम भी है जो बिना नाम की चाहत के इस आपदा से निपटने के लिए आपातकालीन व्यवस्थाओं में अपना दिन-रात सहयोग कर रहे हैं। जिला प्रशासन की ओर से इन दिनों ऐसे राशन किट बनाए जा रहे हैं जिससे एक छोटा परिवार एक माह तक भोजन पका सकता है।

इन्हें नाम नहीं सेवा से मतलब, यह है अलवर की कोरोना राहत टीम

इन्हें नाम नहीं सेवा से मतलब, यह है अलवर की कोरोना राहत टीम

इन्हें ना नाम की चाहत, बस ध्येय कोरोना से मिले राहत
-पर्दे के पीछे रहकर कर रहे युवा सेवा
– जिला प्रशासन की ओर से वितरित की जाने वाले सामग्री तैयार कर रहे

अलवर.

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉक डाउन में श्रमिक व दिहाड़ी मजदूरों और राहगीरों को सभी गुरुद्वारों में राशन बन रहा है। अलवर शहर में कई स्थानों पर राशन किट व भोजन बनाने और उन्हें पहुंचाने का काम चल रहा है। ऐसे में युवाओं की एक ऐसी टीम भी है जो बिना नाम की चाहत के इस आपदा से निपटने के लिए आपातकालीन व्यवस्थाओं में अपना दिन-रात सहयोग कर रहे हैं।
जिला प्रशासन की ओर से इन दिनों ऐसे राशन किट बनाए जा रहे हैं जिससे एक छोटा परिवार एक माह तक भोजन पका सकता है। इसमें काम आने वाली सामग्री सरसों तेल, आटा, मसाले सहित सभी सामान कट्टे में पैक किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त बीमार मरीजों की संख्या बढऩे पर की जाने वाली व्यवस्थाओं की तैयारी की जा रही है। इस पूरे काम के पीछे सरकारी मशीनरी तो है ही, इस काम में युवाओं की टीम काम कर रही है। ये युवा टीम दिन-भर एक फैक्ट्री में राशन किट तैयार कर रही हैं। इस टीम में तरुण शेखावत, साहिल खंडेलवाल, शब्बीर, राहुल मिश्रा, हिमांशी, मोनिका धार व रघुराज सूर्यवंशी हैं। इनका निर्देशन यश अरोड़ा कर रहे हैं। ये जिला प्रशासन की ओर से अधिकृत स्वयं सेवक हैं जिन्हें परिचय पत्र भी दिए गए हैं।
ये अलवर कोरोना रिलीफ टीम है, जो अन्य इस परोपकार के काम में लगी टीमों के साथ कोर्डिनेट कर रही है जिससे राशन किटों का दोहराव नही हो। ये टीम सम्पर्क पोर्टल पर आने वाली राशन किट की मांग पर उस व्यक्ति के बारे में जांच करती है और सही पाए जाने पर किट देकर आती है। ये अब तक करीब 10 हजार लोगों तक भोजन तथा पांच हजार से अधिकलोगों को राशन किट दिए हैं। अब ये किसी भी आपातकालीन स्थिति की तैयारी में लगे हैं।
लोग परेशान हो तो हम कैसे बैठ सकते हैं घर के अंदर-

इस टीम में काम कर रही टीम की मोनिका का कहना है कि जब लोग घरों में भूखे सो रहे हैं और परेशान हो तो हम कैसे घर के भीतर बैठ सकते हैं। हमें कुछ समाज के लिए करना को मिला है। इसी प्रकार हिमांशी कहती हैं कि घर में खाली बैठने से अच्छा है , हम उस आदमी के लिए कुछ करें जो आपकी सहायता की इंतजार कर रहा है। यह देश के लिए कुछ करने का समय है।

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