महिलाएं दूब व फूलों से गणगौर की पूजा करती हैं। गणगौर को मेहंदी, काजल, सिंदूर का तिलक लगाया जाता है। सुबह से ही उत्साह का माहौल रहता है। हर तरफ गणगौर के परंपरागत लोकगीत…गौरिए गणगौर माता खोल किवाड़ी…के स्वर सुनाई देते हैं। इस दिन गणगौर का उद्यापन भी किया जाता है। अविवाहित युवतियां भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए गणगौर की पूजा करती हैं।
पार्लर रहे गुलजार, सजने संवरने की रही होड़ गणगौर पर महिलाओं में सजने संवरने की होड़ रहती है। इसके चलते एक दिन पहले से ही पार्लर बुक हो चुके हैं। महिलाओं ने थ्रेडिंग बनवाने के साथ मेडीक्योर, पेडीक्योर, फेसियल, ब्लीच के अलावा लाइट मेकअप व स्टाइलिश साड़ी व लहंगा पहनने के लिए पार्लरों में बुकिंग करवाई। नवविवाहिता आस्था गर्ग ने बताया कि पहली गणगौर को लेकर बहुत उत्साहित हंू। मेरे ससुराल वाले भी आएंगे और घर में उत्सव का माहौल रहेगा। इसलिए पार्लर में आई हूं।
बाजारों में आ रही घेवर व गुणों की महक बिना मिठाई के हर त्योहार फीका होता है, जिस तरह होली पर गुंजिया व दिवाली पर मूंग के हलवे की मांग ज्यादा होती है, उसी प्रकार गणगौर पर भी खास तौर से घेवर व गुणों की मांग रहती है। शहर के बजाजा बाजार, सर्राफा बाजार, पंसारी बाजार, केडलगंज, मन्नी का बड़ सहित अन्य मिठाइयों की दुकानों पर घेवर व गुणों की बिक्री खूब हो रही हैं। सिंजारे पर बेटी के ससुराल में देने के लिए, घर में गणगौर की पूजा के लिए घेवर व गुणे खरीदे जा रहे हैं।