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जीत नहीं संभाल पाए ललित, खतरा भांप भूपेंद्र ने शहर में झोंकी थी ताकत

विधानसभा चुनाव में पहली बार विधायक बने ललित यादव अपनी ही विधानसभा सीट पर बढ़त नहीं बना पाए। यही कारण रहा कि उन्हें मुंडावर से 3842 मतों से पिछडऩा पड़ा। इस सीट पर भूपेंद्र यादव को 69 हजार 649 और ललित यादव को 65 हजार 807 वोट मिले।
अलवर जिले की 11 विधानसभा सीटों में से 6 पर कांग्रेस ने कब्जा किया था। सबसे बड़ी लीड मुंडावर से ललित यादव को 33 हजार वोटों की मिली थी।

अलवरJun 07, 2024 / 06:35 pm

Pradeep

अलवर. विधानसभा चुनाव में पहली बार विधायक बने ललित यादव अपनी ही विधानसभा सीट पर बढ़त नहीं बना पाए। यही कारण रहा कि उन्हें मुंडावर से 3842 मतों से पिछडऩा पड़ा। इस सीट पर भूपेंद्र यादव को 69 हजार 649 और ललित यादव को 65 हजार 807 वोट मिले।
अलवर जिले की 11 विधानसभा सीटों में से 6 पर कांग्रेस ने कब्जा किया था। सबसे बड़ी लीड मुंडावर से ललित यादव को 33 हजार वोटों की मिली थी। युवा चेहरा हैं, इसलिए पार्टी ने उन पर लोकसभा चुनाव में दांव लगा दिया। ग्रामीण इलाकों में वह खूब लड़े, लेकिन शहर में अनजान रहे। पार्टी के नेताओं ने भी उस चेहरे को घर-घर पहुंचाने में ढील दी। ललित यादव यह भी नहीं भांप सके कि जिस सीट पर 6 माह पहले उन्होंने जीत दर्ज की थी, वहां उनका जनाधार खिसक रहा है। वहीं, सांसद भूपेंद्र यादव चुनाव प्रचार में ही भांप गए थे कि अलवर शहर विधानसभा सीट ही उनकी जीत में अहम भूमिका निभाएगी, यही वजह है कि उन्होंने यहां जान झोंकी और उन्हें 52 हजार से ज्यादा की बढ़त मिली।
भाजपा ने करवाया थे सर्वे…बदल गया परिणाम
चुनाव के दौरान भाजपा प्रचार-प्रसार में जुटी थी। इसी के साथ सर्वे भी जनता के बीच चल रहे थे। जनता का मूड पार्टी भांप रही थी। सर्वे रिपोर्ट आदि के अनुसार भाजपा ग्रामीण इलाकों में कमजोर पड़ रही थी। गांवों के वोटों की पूर्ति के लिए पार्टी ने अलवर शहर सीट पर ताकत झोंकी और परिणाम आए तो इस सीट ने भूपेंद्र यादव के सिर ताज रखा।
किशनगढ़बास सीट हल्के में ले गए कांग्रेसी
किशनगढ़बास सीट से कांग्रेस के विधायक दीपचंद खैरिया 11 हजार वोटों से जीते थे। कांग्रेस को लगा कि खैरथल-तिजारा जिला कांग्रेस की देन है, ऐसे में यह फैक्टर लोकसभा चुनाव में भी काम करेगा, लेकिन परिणाम आए तो भाजपा यहां से आगे निकल गई। भाजपा को कांग्रेस से 10 हजार वोट ज्यादा मिले।
ओल्ड पेंशन स्कीम का प्रभाव खत्म, कर्मचारियों ने भाजपा को दिए ज्यादा वोट
अलवर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने ओल्ड पेंशन स्कीम मुद्दे पर पोस्टल बैलेट के जरिए सर्वाधिक कर्मचारियों के वोट लिए थे, लेकिन लोकसभा चुनाव में इसका उलटा हो गया। भाजपा प्रत्याशी भूपेंद्र यादव को कांग्रेस प्रत्याशी ललित यादव से ज्यादा वोट मिले।
भाजपा प्रत्याशी भूपेंद्र यादव को 7882 व ललित यादव को 7746 वोट मिले। इसी तरह बसपा के फजल हुसैन को 109, प्रदीप कुमार को 23, विश्वनाथ खींची को 17, अमित गुप्ता को 23, छगन लाल को 36, रामबाबू शर्मा को 25 और विवेक जैन को 9 वोट पोस्टल बैलेट से मिले। पोस्टल बैलेट से 15 हजार 870 लोगों ने मतदान किया। लोकसभा में ओल्ड पेंशन स्कीम का प्रभाव खत्म होता दिखाई दिया।
नोटा से हारे 6 प्रत्याशी, 5822 वोट मिले
दो राजनीतिक दलों के अलावा 4 निर्दलीय प्रत्याशियों को कम मिले वोट
अलवर. लोकसभा चुनाव में नोटा ने 6 प्रत्याशियों को हरा दिया। 8 विधानसभा सीटों पर 5822 वोट पाए। नोटा को सबसे ज्यादा वोट अलवर शहर सीट से 1211 मिले। नोटा के बटन पर तिजारा से 566, किशनगढ़बास से 667, मुंडावर से 581, बहरोड़ से 602, अलवर ग्रामीण से 763, अलवर शहर से 1211, रामगढ़ से 723, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ सीट से 614 मतदाताओं वोट किया। नोटा को पोस्टल बैलेट के जरिए 95 वोट और मिले हैं। इस तरह संख्या 5822 हो गई।
किस प्रत्याशी को कितने मिले वोट
प्रत्याशी दल वोट
प्रदीप कुमार ससपा 4362
विश्वनाथ खींची ङ्क्षहजपा 879
अमित गुप्ता निर्दलीय 1389
छगन लाल निर्दलीय 1327
रामबाबू शर्मा निर्दलीय 2232
विवेक जैन निर्दलीय 2438

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