दीनदयालय फेज प्रथम व द्वितीय योजना खत्म शहर में तिजारा पुल से आगे एक तरफ दीनदयाल फेज प्रथम और दूसरी तरफ दीनदयाल फेज द्वितीय के लिए यूआईटी ने करीब 18 साल पहले जमीन अवाप्त की थी। लेकिन जमीन अवाप्ति की धारा 4 की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। इस बीच भूमाफिया ने औने-पौने दामों में एग्रीमेंट के आधार पर जमीन को बेच दिया और करीब एक दशक में योजना के दोनों फेज की जमीन पर सैकड़ों मकान बन गए। इस वजह से दो साल पहले यूआईटी को दोनों योजना की जमीन अवाप्ति मुक्त करनी पड़ी। करीब 150 बीघा जमीन पर दोनों योजना विकसित होती तो यूआईटी को 100 करोड़ रुपए तक के भूखंड, पार्क, सार्वजनिक सुविधाओं के लिए जमीन मिल जाती।
इस योजना की अवाप्ति ठप दिल्ली रोड पर एमआईए के नाम से आवासीय योजना प्रक्रियाधीन है। अवाप्ति की धारा 4 के तहत अवार्ड हो चुका है, लेकिन पिछले दस से अवाप्ति की प्रक्रिया ठप है। जमीन अभी तक अवाप्ति मुक्त तो नहीं हो सकी है। लेकिन 80 प्रतिशत जमीन पर निर्माण हो चुका है। इसी तरह साकेत नगर व रोहिणी नगर की अवार्डशुदा आवासीय योजनाओं का भविष्य भी अंधेरे में है।
कतरा रहे हैँ किसान साल 2008 से पहले की अवार्डशुदा योजनाओं में किसानों को कृषि भूमि के बदले 15 प्रतिशत विकसित जमीन देने का नियम था। लेकिन अब किसान को जमीन के बदले 25 प्रतिशत जमीन देनी होती है। इस वजह से किसान अब 25 प्रतिशत विकसित जमीन के बिना कृषि भूमि नहीं देना चाहते। इसी अधरझूल में अवाप्ति की प्रक्रिया लटकी हुई है।
मंदिर माफी की जमीन भी बेच दी दीनदयाल फेज प्रथम व द्वितीय में करीब 50 बीघा मंदिर माफी की जमीन थी। जिसे भूमाफिया ने बेच दिया। इस जमीन पर भी निर्माण हो गए हैं। इस जमीन के बड़े हिस्से पर प्रभावशाली लोगों के कब्जे हैं।
————— मौका देखकर कार्रवाई करेंगे यूआईटी की प्रक्रियाधीन आवासीय योजनाओं की जानकारी करने के बाद मौका देखा जाएगा। अवैध निर्माण कार्य तुरंत रोके जाएंगे। उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन लेकर ठोस कदम उठाया जाएगा।
अंजू ओमप्रकाश, भूमि अवाप्ति अधिकारी, यूआईटी अलवर