पहले जो बुजुर्ग दिन भर चौपाल पर ताश खेलते थे अब घरों में कैद होकर रह गए हैं। कोई किसी की सुनने वाला भी नहीं है। घर-परिवार के लोग भी अपना थोड़ा बहुत काम करके वापस अपने घर की चारदीवारी में कैद दिखते हैं। कोरोना वायरस के बाद हुए लॉकडाउन पर गांव में चौपालों तक पहुंचे तो कुछ ऐसा ही नजारा सामने दिखा। लेकिन, जिनसे भी बात की तो यही कहा कि जान है तो जहान है।
प्रदेश की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत रामपुर प्रदेश की सबसे बड़ी ग्राम पंचायतों में शामिल बानसूर के रामपुर की चौपाल तो कभी सूनी नहीं मिली। बस स्टैण्ड और बाजार के बीच में होने के कारण यहां एक टोली नहीं दो-चार बुजुर्गों की टोली ताश खेलते मिलती थी। अब पेड़ के नीचे एक व्यक्ति बैठा नहीं दिखता है। सुबह थोड़ी देर बाजार जरूर खुलता है लेकिन, पहले की तरह चौपाल पर बुजुर्गों की दुख-सुख की बातें सुनने को नहीं मिलती हैं। यहां के ग्रामीण रामावतार सैनी ने बताया कि यह चौपाल गांव की शान है। जो कभी सूनी नहीं देखी गई लेकिन, अब कोरोना ने सबको घरों में बैठा दिया। इसलिए यहां भी कोई नजर नहीं आ रहा है।
मुण्डावर चौपाल पर संदेश : यह दौर भी गुजर जाएगा मुण्डावर कस्बे में राउप्रावि के पास बनी इस चौपाल पर संदेशपरक लाइन लिखी हैं कि…बड़े दौर गुजरे हैं जिन्दगी के, यह दौर भी गुजर जाएगा…थाम लो अपने पांव घरों में, कोरोना भी थम जाएगा। कस्बे के चिर परिचित लोग भी इस चौपाल पर अपना समय बिताने पहुंचते थे लेकिन, अब समय बदला तो वो चेहरे ही नजर नहीं आते हैं जो पहले हर दिन दिख जाते थे। यहां के निवासी रामेश्वर का कहना है कि फिर कभी आबाद होगी चौपाल। वक्त का करना होगा इन्तजार।
किशनगढ़बास गांव में कृपाल नगर में सजती थी महफिल किशनगढ़बास विधानसभा क्षेत्र का प्रमुख गांव है कृपाल नगर। कई हजार के आसपास की आबादी के गांव के बीच में यह चौपाल अब सूनी है लेकिन, पहले हर दिन यहां जमघट सा रहता था। खासकर शाम के समय तो जगह नहीं मिलती है। आसपास भी लोग खड़े होते हैं। बुजुर्ग यहां ताश खेलते दिख जाते हैं लेकिन, अब चौपाल के आसपास से कोई आता-जाता नहीं दिखता है। अब तो जन्म-मृत्यु के अवसर पर भी आमजन का मिलना नहीं हो पा रहा है।