अलवर जिले से लोकसभा में चार सदस्य चुनकर जाते हैं। इनमें अलवर लोकसभा क्षेत्र के अलावा भरतपुर, दौसा व जयपुर ग्रामीण सांसद चुनने में अलवर जिले के मतदाताओं की भागीदारी रही है। अलवर जिले में 11 विधानसभा क्षेत्र हैं, इनमें 8 विधानसभा क्षेत्र अलवर शहर, अलवर ग्रामीण, रामगढ़, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़, किशनगढ़बास, मुण्डावर, तिजारा व बहरोड़ के मतदाता अलवर सांसद चुनकर भेजते हैं। वहीं कठूमर के मतदाता भरतपुर, थानागाजी के दौसा एवं बानसूर विधानसभा क्षेत्र के मतदाता जयपुर ग्रामीण सांसद चुनने में अपनी भागीदारी निभाते रहे हैं।
साढ़े चार साल में रह गए दो ही सांसद गत लोकसभा चुनाव 2014 में अलवर, भरतपुर, दौसा व जयपुर ग्रामीण सीटों पर भाजपा के सांसद चुने गए थे, लेकिन महज साढ़े चार साल में भाजपा सांसदों की संख्या घटकर दो ही रह गई। वहीं कांग्रेस भी इस दौरान लोकसभा क्षेत्र से उपचुनाव के जरिए पूर्वी राजस्थान में अपनी एंट्री कराने में कामयाब रही। पिछले लोकसभा चुनाव में अलवर से महंत चांदनाथ योगी, भरतपुर से बहादुरसिंह कोली, दौसा से हरीश मीणा एवं जयपुर ग्रामीण से राज्यवर्धन सिंह राठौड़ भाजपा से चुने गए। लेकिन महंत चांदनाथ योगी का लंबी बीमारी के बाद आकस्मिक निधन हो गया। वहीं दौसा लोकसभा क्षेत्र से हरीश मीणा विधानसभा चुनाव से ऐन पहले भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए। इस कारण भाजपा सांसदों की संख्या चार से घटकर दो रह गई।
इसलिए है भाजपा के लिए चुनौती लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है, ऐसे में सभी प्रमुख दल पिछले चुनाव की उपलब्धि या उससे बड़ी जीत दोहराने के प्रयास में जुटे हैं। अलवर जिले में भाजपा के लिए चुनौती बड़ी है। भाजपा को पिछली उपलब्धि दोहराने के लिए अलवर ही नहीं, समीपवर्ती भरतपुर, दौसा व जयपुर ग्रामीणों पर भी जीत का परचम फहराना होगा। यही भाजपा के लिए बड़ी परेशानी का कारण है।