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जानकी को ब्याह कर लौटे भगवान जगन्नाथ, पुलिस ने भगवान को दिया गॉर्ड ऑफ ऑनर, उमड़े श्रद्धालु

locationअलवरPublished: Jul 15, 2019 03:48:10 pm

jagannath mahotsav in alwar : अलवर में जगन्नाथ महोत्सव संपन्न हुआ। शहर में रथयात्रा वापसी के दौरान श्रद्धालु उमड़े।
 

Lord Jagannath Mahotsav 2019 In Alwar

जानकी को ब्याह कर लौटे भगवान जगन्नाथ, पुलिस ने भगवान को दिया गॉर्ड ऑफ ऑनर, उमड़े श्रद्धालु

अलवर. जिले में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला भगवान जगन्नाथ महोत्सव रविवार को जगन्नाथ व जानकी मैया की रथयात्रा की वापसी के बाद संपन्न हो गया। रविवार की शाम छह बजे रूपबास स्थित रूपहरि मंदिर से बैंडबाजे के साथ माता जानकी व जगन्नाथ भगवान को रथ में विराजमान किया गया। इस अवसर पर पुलिस की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया।
भगवान जगन्नाथ व जानकी मैया की जोडी को देखने तथा उनका आर्शीवाद लेने के लिए श्रद्धालु उमड़ पड़े। जैसे ही भगवान को रथ में विराजमान किया गय। सारा परिसर जय जगन्नाथ जय जगदीश तथा जय जानकी मैया के जयकारों से गूंज उठा। भक्तिमय वातावरण व श्रद्धालुओं की आस्था के बीच भगवान की रथयात्रा की वापसी शुरु हुई। इधर शहरवासी को भी पिछले दो दिनों से माता जानकी के आने का बेसब्री से इंतजार था। जैसे ही रथयात्रा शहर की ओर रवाना हुई मेले में आए श्रद्धालुओं ने रथ को हाथ लगाकर विदा किया। रास्ते में आने वाले मंदिरों में भगवान की आरती उतारी गई।
यहां सबसे ज्यादा भीड

जगन्नाथ रथयात्रा की वापसी को देखने के लिए देर रात तक सडक़ों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रही। सबसे ज्यादा भीड़ एसएमडी चौराहा से लेकर कंपनी बाग रोड तक थी। यहां पर मेले जैसा माहौल था। हर तरफ झूले, प्याऊ, दुकानें सजी हुई थी। भजन कीर्तन व भक्ति संगीत के कार्यक्रम हो रहे थे। यहां पर श्रद्धालु की भीड़ के चलते पैर रखने की जगह भी नहीं थी।
विवाह रचाकर सो जाते हैं भगवान जगन्नाथ

अलवर में निकलने वाली जगन्नाथ की रथयात्रा देश की अन्य रथ यात्राओं से अलग हेाती है। यहां पर हिंदू रीति रिवाज से प्रतिवर्ष जगन्नाथ व जानकी मैया का विवाह होता है। देवशयन एकादशी पर विवाह होने के बाद चार माह के लिए भगवान सो जाते हैं। इसी के साथ ही शादी विवाह के शुभ कार्य भी बंद हो जाते हैं। भगवान जगन्नाथ व जानकी मैया की सवारी रूपबास से रवाना होकर शहर के पुराना कटला स्थित जगन्नाथ मंदिर में पहुंची। रविवार की सुबह जब रथ यात्रा वापस पहुंची तो मंदिर में भगवान जगन्नाथ व जानकी मैया को विराजमान किया गया। इसी के साथ ही बूढ़े जगन्नाथजी के दर्शन भी बंद हो गए।

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