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तूफान ने हिला दी 500 साल पुरानी एतिहासिक इमारत, गिरे कई छज्जे व छतरी

locationअलवरPublished: May 04, 2018 09:35:42 am

Submitted by:

Prem Pathak

अलवर मे तूफान ने 500 साल पुरानी एतिहासिक इमारत फतेहजंग गुंबद को भी हिला दिया। तूफान से गंबद के छज्जे व छतरी टूट गई।

Loss to historical monuments in alwar
अलवर. जिले में काल बनकर आया तूफान इतना भयानक था कि इतिहास की दीवारों को भी झकझोर कर रख दिया। अलवर रेलवे स्टेशन के समीप बनी ऐतिहासिक इमारत फतेहजंग गुंबद पिछले 500 सालों से अलवर के इतिहास की गौरव गाथा को संजोए हुए थी। लेकिन बुधवार को आए तूफान ने इस इमारत की गुंबद का कुछ हिस्सा गिरा दिया। अंतिम मंजिल पर लगी चोटी तूफान को नहीं झेल पाई। ऊपरी भाग पर लगा एक भाग टूट गया। इस इमारत की दूसरी मंजिल पर लगे छज्जे भी टूट गए हैं। इमारत का दूसरा कुछ हिस्सा भी गिराऊ व जर्जर हो गया है। सारा मलबा इमारत के नीचे की तरफ गिरा हुआ है। इस परिसर में लगे अनेक पेड़ भी गिर गए हैं। संग्रहालयाध्यक्ष प्रतीभा यादव ने बताया कि किसी पर्यटक को नुकसान ना हो इसलिए फिलहाल यह ऐतिहासिक इमारत पर्यटकों के लिए बंद कर दी गई है। अब कुछ दिन बाद फिर से इस इमारत में मरम्मत का कार्य किया जाएगा।
1547 में बनी थी फतेहजंग की इमारत

अलवर रेलवे स्टेशन के समीप खानजादा फतेहजंग खान की स्मृति में 1547 में इसका निर्माण किया था। सेनापति फतेहजंग खान, हसन खां मेवाती के भतीजे थे। सेना के कुशल सेनापति थे। यह गुंबद 5 मंजिला है । प्रत्येक मंजिल पर चारों तरफ दरवाजे और छोटी छोटी खिड़कियां बनी हुई है। सबसे अंत में कंगूरे से जुड़े 8 कोण हंै। हर कोण में पतली ओर छोटी मीनार और गुंबद के शिखर पर उत्कीर्ण कमल की पंखुडिय़ों के बीच 4 खंबों की एक छोटी सी छतरी है। इसके चारों कोनों को मीनार की शक्ल दी गई है। चार कोनों में ऊपर तक पहुंचने के लिए सीढिय़ा बनी हुई है। इसके अंदर एक मजार है । जो सभी के लिए श्रद्धा का केंद्र है। इस भवन के दरवाजों व प्रथम मंजिल की छतों पर अरबी व फारसी भाषा में कुरान की आयातें लिखी गई है।
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